प्रभु को अगर भूलोगे बन्दे,
बाद बहुत पछताओगे,
पैसे से भोजन लाओगे,
भूख कहा से लाओगे,
पैसे से भोजन लाओगे,
भूख कहा से लाओगे,
प्रभु को अगर भूलोगे बंदे,
बाद बहुत पछताओगे ॥
पैसे के खातिर तू बन्दे,
करता रहा हेरा फेरी,
घी में डालडा, डालडा में घी,
करते नही तनिक देरी,
सुंदर वक़्त को कब तक बन्दे,
व्यर्थ में यू ही गवाओगे,
पैसे से बिस्तर लाओगे,
नींद कहा से लाओगे,
प्रभु को अगर भूलोगे बंदे,
बाद बहुत पछताओगे ॥
साबुन से इस् तन को बन्दे,
धोता रहा तू मल-मल के,
मन तो तेरा गंदा रह गया,
तीरथ करता चल-चल के,
प्रभु शरण में नही गए तो,
बाद बहुत पछताओगे,
पैसे से गहना लाओगे,
रूप कहा से लाओगे,
प्रभु को अगर भूलोगे बंदे,
बाद बहुत पछताओगे ॥
संगीत है शक्ति ईश्वर का,
इसका ही गुणगान करो,
मन को बांधो तन को साधो,
कभी नही अभिमान करो,
अगर साधना नही करोगे,
अंत समय पछताओगे,
पैसे से सरगम सीखोगे,
दर्द कहा से लाओगे,
प्रभु को अगर भूलोगे बंदे,
बाद बहुत पछताओगे ॥
प्रभु को अगर भूलोगे बन्दे,
बाद बहुत पछताओगे,
पैसे से भोजन लाओगे,
भूख कहा से लाओगे,
पैसे से भोजन लाओगे,
भूख कहा से लाओगे,
प्रभु को अगर भूलोगे बंदे,
बाद बहुत पछताओगे ॥
छठ महापर्व भारत में सूर्य उपासना का एक सबसे पवित्र और कठिन त्योहार है। जिसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना गया है। शास्त्रों के अनुसार नित्य भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सौभाग्य, उन्नति और समृद्धि आती है।
देवउत्थायनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है, लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विशेष रूप से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।