व्रत एवं त्यौहार

वैशाख अमावस्या पर कैसे करें तर्पण

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की शांति और मोक्ष के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और पूजा से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

वैशाख 2025 की अमावस्या कब है

हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या का विशेष महत्व होता है, लेकिन वैशाख माह की अमावस्या विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है।

मासिक शिवरात्रि अप्रैल 2025 में कब है

मासिक शिवरात्रि हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती कि विशेष रूप से पूजा की जाती है, जो शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है।

अप्रैल महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है।

अप्रैल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है

हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ बड़े श्रद्धा और पवित्र भाव के साथ मनाया जाता है। वैसे तो श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी भाद्रपद मास में मनाई जाती है, लेकिन हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में भी यह पर्व मनाया जाता है।

कालाष्टमी अप्रैल 2025 में कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का संचार होता है।

वरुथिनी एकादशी की तिथि

हिंदू धर्म में सभी एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो एकादशी की तिथियां आती हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित होती हैं और वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहा जाता है।

अप्रैल 2025 में भानु सप्तमी कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार, भानू सप्तमी हर वर्ष कृष्ण पक्ष की सप्तमी को मनाई जाती है और इसे सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन भक्त सूर्य देव की उपासना करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी के उपाय

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं।

हनुमान जयंती पर 100 साल बाद ऐसा संयोग

इस बार की हनुमान जयंती बेहद खास रहने वाली है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-उपवास रखने और सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने से मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।