होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा(Holi Khel Rahe Banke Bihari Aaj Rang Baras Raha)

होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा ,

और झूम रही दुनिया सारी,

आज रंग बरस रहा ॥


अबीर गुलाल के बादल छा रहे है,

होरी है होरी है छोर मचा रहे,

झोली भर के गुलाल कि मारी,

आज रंग बरस रहा ॥


देख देख सखियन के मन हर्षा रहे,

मेरे बांके बिहारी आज प्रेम बरसा रहे,

उनके संग में हैं राधा प्यारी,

आज रंग बरस रहा ॥


आज नंदलाला ने धूम मचाई है,

प्रेम भरी होली कि झलक दिखायी है,

रंग भर भर के मारी पिचकारी,

आज रंग बरस रहा ॥


अबीर गुलाल और ठसो का रंग है,

वृंदावन बरसानो झूम रह्यो संग है,

मैं बार बार जाऊं बलिहारी ॥


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प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी (Pyara Saja Hai Tera Dwar Bhawani)

दरबार तेरा दरबारों में इक खास एहमियत रखता है
उसको वैसा मिल जाता है जो जैसी नीयत रखता है

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी(Ik Din Vo Bhole Bhandari Banke Braj Ki Nari)

इक दिन वो भोले भंडारी
बन करके ब्रज की नारी,

मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है - भजन (Mera Aap Ki Kripa Se Sab Kam Ho Raha Hai)

मेरा आपकी दया से सब काम हो रहा है।
करते हो तुम कन्हिया मेरा नाम हो रहा है॥

प्रदोष व्रत पर क्या करें या न करें

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।

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