सप्त चिरंजीवी (Sapta Chiranjeevi)

कौन है सप्त चिरंजीवी, क्या है इनके जन्म और पृथ्वी पर रहने की वजह?

“चिरंजीवी,” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “अमर”, ये शब्द दो शब्दों के मेल से बना है , जिनमें पहला है  “चिरम” यानी लंबा और दूसरा है “जीवी” यानी कि जीवित। हिंदू सिद्धांत के अनुसार, चिरंजीवी ऐसे अमर प्राणी हैं, जो इस कलियुग के अंत तक पृथ्वी पर रहेंगे। हिंदू धर्म ग्रंथों, रामायण और महाभारत के अनुसार पृथ्वी पर सात चिरंजीवी हैं इन्हें अंशावतार भी कहा जाता है। 

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण:।

कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥

शास्त्रों में लिखे इस श्लोक में सात चिरंजीवी बताए गए हैं इनमें परशुराम, बलि, विभीषण, हनुमान, महर्षि वेदव्यास, कृपाचार्य और अश्वत्थामा के नाम हैं। ये सात चिरंजीवी दिव्य शक्तियों से संपन्न हैं और ऐसी मान्यता है कि ये आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं। प्रत्येक चिरंजीवी एक अलग विशेषता का प्रतिनिधित्व करता है। ये सात देवपुरूष किसी वरदान, श्राप या किसी नियम से बंधे हुए हैं, जिन्हें योग की अष्ट सिद्धियों के कारण दिव्य शक्तियां प्राप्त हैं। 

माना जाता है कि जो लोग प्रतिदिन सप्त चिरंजीवीयों का स्मरण करते हैं उनकी आयु में वृद्धि होती है, जानते हैं सप्त चिरंजीवियों को विस्तार से…