ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो - भजन (Om Mahakal Ke Kal Tum Ho Prabhu)

ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो,

गुण के आगार सत्यम् शिवम् सुंदरम्,

कर में डमरू लसे चंद्रमा भाल पर,

हो निराकार सत्यम् शिवम् सुंदरम् ॥


हैं जटा बीच मंदाकिनी की छटा,

मुंडमाला गले बीच शोभित महा,

कंठ में माल विषधर लपेटे हुए,

करके सिंगार सत्यम् शिवम् सुंदरम् ॥


बैठे कैलाश पर्वत पर आसन लगा,

भस्म तन पर हो अपने लगाए हुए,

है तुम्हारी निराली ये अनुपम छटा,

सबके आधार सत्यम् शिवम् सुंदरम् ॥


न्यारी महिमा तुम्हारी है त्र्यलोक में,

भोले भंडारी तुम बोले जाते प्रभो,

अम्बिका निर्मोही को आस है आपकी,

कर दो उद्धार सत्यम् शिवम् सुंदरम् ॥


ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो,

गुण के आगार सत्यम् शिवम् सुंदरम्,

कर में डमरू लसे चंद्रमा भाल पर,

हो निराकार सत्यम् शिवम् सुंदरम् ॥

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छठ व्रत कथा (Chhath Vrat Katha)

छठ व्रत कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।

हे दयामय आप ही संसार के आधार हो (Hey Dayamay Aap Hi Sansar Ke Adhar Ho)

हे दयामय आप ही संसार के आधार हो।
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राम जी से पूछे जनकपुर की नारी (Ram Ji Se Puche Janakpur Ki Nari)

राम जी से पूछे जनकपुर की नारी,
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भगवान मेरी नैया, उस पार लगा देना(Bhagwan Meri Naiya Us Par Gaga Dena)

भगवान मेरी नैया,
उस पार लगा देना,

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