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Jis Bhajan Mein Ram Ka Nam Na Ho (जिस भजन में राम का नाम ना हो)

Jis Bhajan Mein Ram Ka Nam Na Ho (जिस भजन में राम का नाम ना हो)

जिस भजन में राम का नाम ना हो,

उस भजन को गाना ना चाहिए ॥


चाहे बेटा कितना प्यारा हो,

उसे सिर पे चढ़ाना ना चाहिए,

चाहे बेटी कितनी लाडली हो,

घर घर ने घुमाना ना चाहिए,

जिस भजन में राम का नाम न हों,

उस भजन को गाना ना चाहिए ॥


जिस माँ ने हम को जनम दिया,

दिल उसका दुखाना ना चाहिए,

जिस पिता ने हम को पाला है,

उसे कभी रुलाना ना चाहिए,

जिस भजन में राम का नाम न हों,

उस भजन को गाना ना चाहिए ॥


चाहे पत्नी कितनी प्यारी हो,

उसे भेद बताना ना चाहिए,

चाहे मैया कितनी बैरी हो,

उसे राज़ छुपाना ना चाहिए,

जिस भजन में राम का नाम न हों,

उस भजन को गाना ना चाहिए ॥


जिस भजन में राम का नाम ना हो,

उस भजन को गाना ना चाहिए ॥

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दशहरा पूजन विधि

हर वर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयदशमी या दशहरा का पर्व मनाया जाता है जो कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।

भगवान राम और माता शबरी के बीच का संवाद

जब बरसों के इंतजार के बाद श्रीराम शबरी की कुटिया में पहुंचे, तो उनके बीच एक अनोखा संवाद हुआ।

शबरी जयंती क्यों मनाई जाती है?

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।

शबरी जंयती की पूजा विधि

शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।

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