धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर ॥
क्यूँ चले से आंगा पांगा,
चिता बिच तने धर देंगे नंगा,
एक अग्नि का लेके पतंगा,
तेरे फिर जाएंगे चारो ओर,
॥ धन जोबन और काया..॥
सिराणे खड़ी तेरी माई रोवे,
भुजा पकड़ तेरा भाई रोवे,
पायाँ खड़ी रे तेरी ब्याहि रे रोवे,
जिसने ल्याया बाँध के मोल,
॥ धन जोबन और काया..॥
पांच साथ तेरे चलेंगे साथ में,
गोसा पुला लेके हाथ में,
इक पिंजरी का ले बांस हाथ में ,
तेरे देंगे सर में फोड़,
॥ धन जोबन और काया..॥
शंकर दास ब्राम्हण गावे,
सब गुणियों को शीश झुकावे,
अपणा गाम जो खोली बतावे,
वो तो गया रे मुलाजा तोड़,
धन जोबन और काया नगर की,
कोई मत करो रे मरोर ॥
हिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी को अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना गया है। यह पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस वर्ष मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का विशेष संबंध सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। मोक्षदा एकादशी, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है।
हिन्दू धर्म में एकादशी और प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। ये व्रत धार्मिक श्रद्धा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ के लिए किए जाते हैं।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भगवान शिव की साधना करने वाले साधक को पृथ्वी लोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।