नवीनतम लेख

शनि प्रदोष व्रत कथा

शनि प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, कभी नहीं होगी धन- दौलत की कमी  


प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत अपने विशेष महत्व के लिए ही जाने जाते हैं। पर साल 2024 में पौष माह के प्रदोष व्रत को ख़ास माना जा रहा है। इस तिथि पर भगवान भोलेनाथ की उपासना करने से भक्तों को आरोग्य जीवन का वरदान मिलता होता है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए भी ये व्रत किया जाता है। इस साल का आखिरी शनि प्रदोष व्रत शनिवार, 28 दिसंबर 2024 को है। इस दिन व्रत कथा पाठ का विधान है। तो आइए इस आलेख में विस्तार से इसकी कथा के बारे में जानते हैं।  


शनि प्रदोष व्रत कथा 


पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय  एक नगर में धन-दौलत और वैभव से सम्पन्न एक सेठ था। वह सेठ अत्यन्त दयालु प्रवृत्ति का था। उसके यहां से कभी कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था। वह सभी को जी भरकर दान-दक्षिणा भी देता था। लेकिन दूसरों को सुखी देखने वाले सेठ और उसकी पत्‍नी स्वयं काफ़ी दुखी रहते थे। दुःख का कारण था उनकी संतान का ना होना। 


एक दिन उन्होंने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्‍चय किया और अपने काम-काज सेवकों को सौंप कर घर से निकल पड़े। जैसे ही वे अपने नगर के बाहर निकले तो उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक तेजस्वी साधु दिखाई पड़ गए। दोनों ने सोचा कि साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की जाए। पति-पत्‍नी दोनों समाधि लगाए हुए साधु के सामने हाथ जोड़कर बैठ गए और उनकी समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे। सुबह से शाम और फिर रात हो गई, लेकिन साधु की समाधि नहीं टूटी। मगर सेठ पति-पत्‍नी धैर्यपूर्वक हाथ जोड़े वहीं बैठे रहे।


अंततः अगले दिन प्रातः काल साधु समाधि से उठे। सेठ पति-पत्‍नी को देख वह मन्द-मन्द मुस्कराए और आशीर्वाद स्वरूप हाथ उठाकर बोले “मैं तुम्हारे अन्तर्मन की बात भांप गया हूं वत्स! मैं तुम्हारे धैर्य और भक्तिभाव से अत्यन्त प्रसन्न हूं।” इसके बार साधु ने सेठ दंपति को सन्तान प्राप्ति हेतु शनि प्रदोष व्रत करने की पूरी विधि विस्तार से बतलाई। 


तब तीर्थयात्रा के उपरांत जब दोनों वापस घर लौटे तो नियमपूर्वक शनि प्रदोष व्रत करने लगे। कालान्तर में सेठ की पत्‍नी ने एक सुन्दर पुत्र जो जन्म दिया। शनि प्रदोष व्रत के प्रभाव से उनके यहां छाया अन्धकार लुप्त हो गया और वे दोनों आनंद से रहने लगे।


जानिए व्रत कथा पाठ के लाभ


यदि आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। 


मेरी विनती सुनो हनुमान, शरण तेरी आया हूँ (Meri Vinti Suno Hanuman Sharan Teri Aaya Hun)

मेरी विनती सुनो हनुमान,
शरण तेरी आया हूँ,

उनकी रेहमत का झूमर सजा है (Unki Rehmat Ka Jhoomar Saja Hai)

उनकी रेहमत का झूमर सजा है ।
मुरलीवाले की महफिल सजी है ॥

उत्पन्ना एकादशी के जाप मंत्र

उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा के लिए समर्पित है।

वीरो के भी शिरोमणि, हनुमान जब चले (Veeron Ke Shiromani, Hanuman Jab Chale)

सुग्रीव बोले वानरों तत्काल तुम जाओ
श्री जानकी मैया का पता मिलके लगाओ