शिव पुराण में महाशिवरात्रि कथा

Mahashivratri Shiv Puran Katha: शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि क्या है? यहां जानिए रोचक कथा


हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे मासिक शिवरात्रि कहते हैं। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, जिसका विशेष महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में चार प्रहर की जाती है। आपको बता दें, महाशिवरात्रि के दिन देशभर के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए, यह दिन शिव-गौरी के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप महाशिवरात्रि के असली रहस्य के बारे में जानते हैं। अगर नहीं तो आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि क्या है?



शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि क्या है? 


महाशिवरात्रि की असली कहानी, जिसका विस्तृत वर्णन शिव महापुराण में मिलता है, यह है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इस पवित्र तिथि पर, भगवान शिव ने वैराग्य का जीवन त्यागकर देवी पार्वती के साथ विवाह बंधन में बंधकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसलिए, महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।



महाशिवरात्रि व्रत का महत्व क्या है?


फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए, महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव वैराग्य का त्याग कर देवी पार्वती संग विवाह के बंधन में बंधे थे और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव पहली बार ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यह भी माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग धरती पर प्रकट हुए थे। 



महाशिवरात्रि के दिन करें इन मंत्रों का जाप 


महाशिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष प्रार्थना करते हैं। 

  • ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
  • उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात
  • ऊं नमः शिवा
  • ऊं तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
  • तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्
  • ऊं नमो भगवते रुद्राय
  • जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।
  • डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम॥ 
  • कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि॥
  • ऊं ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
  • ऊं नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ऊं

........................................................................................................
कब है बसंत पंचमी 2025?

माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए ये दिन बहुत खास होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

आओ बालाजी, आओं बालाजी (Aao Balaji Aao Balaji)

आओ बालाजी,
आओं बालाजी,

नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी (Nit Mahima Mai Gaun Maiya Teri)

नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी ॥
और क्या माँगू मैं तुमसे माता,

खुल गया बैंक राधा, रानी के नाम का(Khul Gaya Bank Radha Rani Ke Naam Ka)

खुल गया बैंक राधा,
रानी के नाम का,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।