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नगरी हो अयोध्या सी,

रघुकुल सा घराना हो ।

और चरण हो राघव के,

जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥


हो त्याग भारत जैसा,

सीता सी नारी हो ।

और लवकुश के जैसी

संतान हमारी हो ॥


नगरी हो अयोध्या सी,

रघुकुल सा घराना हो ।

और चरण हो राघव के,

जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥


श्रद्धा हो श्रवण जैसी,

शबरी सी भक्ति हो ।

और हनुमत के जैसी

निष्ठा और शक्ति हो ॥


नगरी हो अयोध्या सी,

रघुकुल सा घराना हो ।

और चरण हो राघव के,

जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥


मेरी जीवन नैया हो,

प्रभु राम खेवैया हो ।

और राम कृपा की सदा

मेरे सर छय्या हो ॥


नगरी हो अयोध्या सी,

रघुकुल सा घराना हो ।

और चरण हो राघव के,

जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥


सरयू का किनारा हो,

निर्मल जल धारा हो ।

और दरश मुझे भगवन

हर घडी तुम्हारा हो ॥


नगरी हो अयोध्या सी,

रघुकुल सा घराना हो ।


कौशल्या सी माई हो,

लक्ष्मण सा भाई ।

और स्वामी तुम्हारे जैसा,

मेरा रघुराई हो ॥


नगरी हो अयोध्या सी,

रघुकुल सा घराना हो ।


श्रद्धा हो श्रवण जैसी,

शबरी सी भक्ति हो ।

हनुमान के जैसे निष्ठा,

और शक्ती हो ॥


और चरण हो राघव के,

जहाँ मेरा ठिकाना हो ॥

मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया (Mere O Sanware Tune Kya Kya Nahi Kiya)

मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी(Ik Din Vo Bhole Bhandari Banke Braj Ki Nari)

इक दिन वो भोले भंडारी
बन करके ब्रज की नारी,

माँ सरस्वती! मुझको नवल उत्थान दो (Mujhko Naval Utthan Do, Maa Saraswati Vardan Do)

मुझको नवल उत्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

श्री पार्वती चालीसा (Shri Parvati Chalisa)

जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,