नवीनतम लेख

मैं उस दरबार का सेवक हूँ जिस दर की अमर कहानी है (Main Us Darbaar Ka Sevak Hu)

मैं उस दरबार का सेवक हूँ,

जिस दर की अमर कहानी है,

मैं गर्व से जग में कहता हूँ,

मेरा मालिक शीश का दानी है,

मै उस दरबार का सेवक हूँ ॥


इनके दरबार के नौकर भी,

दुनिया में सेठ कहाते है,

जिनको है मिली सेवा इनकी,

वो किस्मत पे इतराते है,

जो श्याम की सेवा रोज करे,

वो रात दिवस फिर मौज करे,

जिन पे है इनायत बाबा की,

खुद खुशियाँ उनकी खोज करे।

मै उस दरबार का सेवक हूँ,

जिस दर की अमर कहानी है,

मैं गर्व से जग में कहता हूँ,

मेरा मालिक शीश का दानी है,

मै उस दरबार का सेवक हूँ ॥


जब भी कोई चित्कार करे,

तो इनका सिंहासन हिलता है,

ये रोक नही पाता खुद को,

झट जा कर उससे मिलता है,

जो श्याम प्रभु से आस करे,

बाबा ना उनको निराश करे,

उन्हें खुद ये राह दिखाता है,

जो आँख मूंद विश्वास करे।

मै उस दरबार का सेवक हूँ,

जिस दर की अमर कहानी है,

मैं गर्व से जग में कहता हूँ,

मेरा मालिक शीश का दानी है,

मै उस दरबार का सेवक हूँ ॥


जिसने भी श्याम की चौखट पर,

आ कर के माथा टेका है,

उस ने मुड़ करके जीवन में,

वापस ना फिर कभी देखा है,

‘माधव’ जब श्याम सहारा है,

तो जीवन में पौबारा है,

जो हार गया एक बार यहाँ,

वो हारा नही दोबारा है।

मै उस दरबार का सेवक हूँ,

जिस दर की अमर कहानी है,

मैं गर्व से जग में कहता हूँ,

मेरा मालिक शीश का दानी है,

मै उस दरबार का सेवक हूँ ॥


मैं उस दरबार का सेवक हूँ,

जिस दर की अमर कहानी है,

मैं गर्व से जग में कहता हूँ,

मेरा मालिक शीश का दानी है,

मै उस दरबार का सेवक हूँ ॥

मेरी आखिओं के सामने ही रहना(Meri Akhion Ke Samne Hi Rehina Oh Shero Wali Jagdambe)

मेरी आखिओं के सामने ही रहना,
माँ शेरों वाली जगदम्बे ।

तिरुमला को क्यों कहा जाता है धरती का बैकुंठ

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में त‍िरुमाला की सातवीं पहाड़ी पर स्थित तिरुपति मंदिर विश्व का सबसे प्रसिद्ध है। यहां आने के बाद बैकुंठ जैसी अनुभूति होती है।

क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी, क्या है पूजन विधि, बांके बिहारी का ये है प्रिय भोज; जानें श्रीकृष्ण की जन्म कथा

श्रीमद्भगवद भगवत गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं ‘जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूंगा।’

सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ (Sakhi Ri Bank Bihaari Se Hamari Ladgayi Akhiyan)

सखी री बांके बिहारी से
हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।