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डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे(Dimik Dimik Damru Kar Baje)

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें ॥


सिंघी नाद बजावत गावत,

सिंघी नाद बजावत गावत,

लटक रही बगली झोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें ॥


नाग फणन सो करत आरती,

नाग फणन सो करत आरती,

देव देव गति अनमोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें ॥


भालचंद्र सिर गंगा लहरे,

भालचंद्र सिर गंगा लहरे,

हाथ लिए भंग की गोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें ॥


डिमिक डिमिक डमरू कर बाजे,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें,

प्रेम मगन नाचे भोला, भोला,

डिमिक डिमिक डमरू कर बाजें ॥

वीरो के भी शिरोमणि, हनुमान जब चले (Veeron Ke Shiromani, Hanuman Jab Chale)

सुग्रीव बोले वानरों तत्काल तुम जाओ
श्री जानकी मैया का पता मिलके लगाओ

तेरी महिमा सभी ने बखानी(Teri Mahima Sabhi Ne Bakhani )

तेरी महिमा सभी ने बखानी,
दया हमपे करो अम्बे रानी ॥

16 सोमवार व्रत कथा (16 Somavaar Vrat Katha)

एक समय श्री महादेवजी पार्वती के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगरी में आए। वहां के राजा ने शिव मंदिर बनवाया था, जो कि अत्यंत भव्य एवं रमणीक तथा मन को शांति पहुंचाने वाला था। भ्रमण करते सम शिव-पार्वती भी वहां ठहर गए।

भगत पुकारे आज मावड़ी(Bhagat Pukare Aaj Mawadi)

भादी मावस है आई,
भक्ता मिल ज्योत जगाई,

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