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चंदन है इस देश की माटी (Chandan Hai Is Desh Ki Mati)

चंदन है इस देश की माटी,

तपोभूमि हर ग्राम है ।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥


हर शरीर मंदिर सा पावन,

हर मानव उपकारी है ।

जहॉं सिंह बन गये खिलौने,

गाय जहॉं मॉं प्यारी है ।

जहॉं सवेरा शंख बजाता,

लोरी गाती शाम है ॥


हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥


जहॉं कर्म से भाग्य बदलता,

श्रम निष्ठा कल्याणी है ।

त्याग और तप की गाथाऍं,

गाती कवि की वाणी है ।

ज्ञान जहॉं का गंगाजल सा,

निर्मल है अविराम है ॥


हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥


जिस के सैनिक समरभूमि मे,

गाया करते गीता है ।

जहॉं खेत मे हल के नीचे,

खेला करती सीता है ।

जीवन का आदर्श जहॉं पर,

परमेश्वर का धाम है ॥


हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥


चंदन है इस देश की माटी,

तपोभूमि हर ग्राम है ।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा बच्चा राम है ॥

आये है दिन सावन के (Aaye Hain Din Sawan Ke)

आये है दिन सावन के,
गंगा जल से भर के गगरिया,

थारे बिन मैया कुण म्हारो है दादी(Thare Bin Maiya Kun Mharo Hai Dadi)

थारे बिन मैया कुण म्हारो है,
थारे बिण मैया कुण म्हारो है,

कार्तिगाई दीपम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।

काल भैरव जयंती: कथा और पूजा विधि

हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।

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