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बस इतनी तमन्ना है, श्याम तुम्हे देखूं (Bas Itni Tamanna Hai Shyam Tumhe Dekhun)

बस इतनी तमन्ना है,

बस इतनी तमन्ना है,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


सिर मुकुट सुहाना हो,

माथे तिलक निराला हो,

गल मोतियन माला हो,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


कानो में हो बाली,

लटके लट घुंघराली,

तेरे अधर पे मुरली हो,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


बाजू बंद बाहों पे,

पैजनियाँ पाओं में,

होठों पे हसी कुछ हो,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


दिन हो या अँधेरा हो,

चाहे शाम सवेरा हो,

सोऊँ तो सपनो में,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


चाहे घर हो नंदलाला,

कीर्तन हो गोपाला,

हर जग के नज़ारे में,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


कहता है कमल ऐ किशन,

सौगात मुझे यह दे,

जिस और नज़र फेरूँ,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥


बस इतनी तमन्ना हैं,

बस इतनी तमन्ना हैं,

श्याम तुम्हे देखूं,

घनश्याम तुम्हे देखूं ॥

बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे (Bajrang Ke Aate 2 Kahin Bhor Ho Na Jaye Re)

बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,

डिम डिम डमरू बजावेला हामार जोगिया(Dim Dim Damroo Bajavela Hamar Jogiya)

डिम डिम डमरू बजावेला हामार जोगिया
हे हमार जोगिया हो हमार जोगिया

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों तुम्हे अयोध्या बुला रही है (Hey Arya Putro, Hey Ram Bhakto, Tumhe Ayodhya Bula Rahi Hai)

हे आर्य पुत्रों, हे राम भक्तों
तुम्हे अयोध्या बुला रही है ।

गणेश चालीसा (Ganesh Chalisa)

प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।