जानिए कैसा है चेन्नई का जगन्नाथ मंदिर? क्या है इसका इतिहास और महत्व?
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई शहर के ईस्ट कोस्ट रोड पर स्थित यह भव्य मंदिर ओडिशा के पुरी में बने जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति मालूम होती है। इसकी शानदार उड़िया शैली की वास्तुकला, नक्काशी और शांतिपूर्ण वातावरण इसे भक्तों के लिए एक अनूठा तीर्थस्थल बनाता है। यहां भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के अलावा अन्य देवताओं की मूर्तियां भी हैं। समुद्र तट से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह मंदिर अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। तो आइए, इस आर्टिकल में
चेन्नई के इस जगन्नाथ मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जानिए इस मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का निर्माण 26 जनवरी 2001 को पूरा हुआ था। यह मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला और धार्मिक परंपराओं का सटीक अनुसरण करता है। दीवारों पर की गई नक्काशी और पट चित्र यहां आने वाले प्रत्येक भक्त को भगवान के दिव्य रूप से जोड़ने का अनुभव कराते हैं।
यहां पुरी जगन्नाथ मंदिर की मिलती है झलक
चेन्नई स्थित जगन्नाथ मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर से ही प्रेरित है। यह मंदिर समुद्र तट से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं और इसके शीर्ष से समुद्र और आसपास की प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।
भगवान जगन्नाथ के साथ विराजमान हैं अन्य प्रतिमा
मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियां स्थापित हैं। इन 3 मुख्य देवताओं के साथ, भगवान योग नरसिंह, भगवान शिव, भगवान गणेश, देवी गजलक्ष्मी और देवी विमला की भी मूर्तियां हैं। वहीं, मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर स्थित विशाल ध्वज स्तंभ यहां आने वाले हर व्यक्ति को प्रभावित करता है।
कैसी है मंदिर की वास्तुकला?
यह मंदिर कांचीपुरम के काले ग्रेनाइट और राजस्थान के सफेद संगमरमर से बनाया गया है। इसकी संरचना उड़िया शैली में है। इसमें, दीवारों और छत पर भगवान विष्णु के दस अवतारों के चित्रण वाले पट चित्र अंकित हैं। मंदिर का परिसर लगभग एक एकड़ में फैला है। जो हरे-भरे लॉन और सुंदर फूलों की क्यारियों से सजाया गया है। बता दें कि मंदिर में सेवा करने वाले पुजारी विशेष रूप से ओडिशा से आते हैं। वे उड़िया में मंत्रोच्चारण और प्रार्थना भी करते हैं।
महाप्रसाद की होती है व्यवस्था
यहां भक्तों को हर दिन दोपहर के समय मध्यान प्रसाद भी मिलता है। यह भी पुरी के महाप्रसाद की तरह ही होता है। इस प्रसाद के लिए एक दिन पहले बुकिंग करनी होती है। बता दें कि इसके लिए शुल्क भी लिया जाता है। प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों को मंदिर के प्रसाद सेवन गृह जाना पड़ता है।
मंदिर में दर्शन का समय
सुबह: 6:30 से 12:30
दोपहर: 3:30 से शाम 7:30
रथयात्रा है यहां का मुख्य आयोजन
चेन्नई स्थित यह मंदिर हर वर्ष भव्य रथयात्रा उत्सव का आयोजन करता है। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र की मूर्तियों को रथ पर स्थापित करके मनाया जाता है। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में भक्त और पर्यटक यहां आते हैं।