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अरुल्मिगु धनदायूंथापनी मंदिर, पलानी, तमिलनाडु (Arulmigu Dhandayunthapani Temple, Palani, Tamil Nadu)

अरुल्मिगु धनदायूंथापनी मंदिर, पलानी, तमिलनाडु (Arulmigu Dhandayunthapani Temple, Palani, Tamil Nadu)

भगवान मुरूगन का प्रसिद्ध मंदिर, जहरीली जड़ी बूटियों से बनाई गई है मुख्य मूर्ति 


अरुल्मिगु धनदायूंथापनी स्वामी मंदिर, जिसे पलानी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। तमिलनाडु के पलानी शहर में स्थित है। यह भगवान मुरुगन का एक प्रमुख मंदिर है। कोयंबटूर से मंदिर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। मंदिर शिवगिरी पर्वत नामक दो पहाड़ियों की ऊंची चोटी पर मौजूद है। पलानी अरुल्मिगु धनदायूंथापनी स्वामी मंदिर मुरुगन के छह निवास में से एक है। पलानी मंदिर को पंचामृत का पर्याय माना जाता है, जो पांच सामग्रियों से बना एक मीठा मिश्रण है। माना जाता है कि मुख्य देवता की मूल मूर्ति बोग सिद्धर द्वारा जहरीली जड़ी-बूटियों का उपयोग करके बनाई गई है।


मंदिर का इतिहास और वास्तुकला


पलानी के शिवगिरी पर्वत पर स्थित मुरुगन स्वामी के इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। हालांकि वर्तमान का निर्माण चेर राजाओं के द्वारा कराया गया है लेकिन इसका वर्णन स्थल पुराणों और तमिल साहित्य में मिलता है। अरुल्मिगु धनदायूंथापनी स्वामी मंदिर का निर्माण 5वीं और 6वीं शताब्दी के दौरान चेर वंश के शासक चेरामन पेरुमल ने कराया। कहा जाता है कि जब पेरुमल ने पलानी की यात्रा की, तो उनके सपने में कार्तिकेय स्वामी आए और पलानी के शिवगिरी पर्वत पर अपनी मूर्ति के स्थित होने की बात बताई। जब राजा पेरुमल ने उस स्थान पर देखा तो कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति प्राप्त हुई जिसके बार उन्होंने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद चोल और पांड्य वंश के शासकों ने 8वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान मंदिर के विशाल मंडप और गोपुरम बनवाए। मंदिर को सुंदर कलाकृतियों से सजाने का काम नायक शासकों ने किया। मंदिर का गर्भगृह आरंभिक चेर वास्तुकला का है जबकि इसके चारों और ढके हुए कक्ष में पांड्य प्रभाव के अचूक निशान हैं। विशेष रूप से दो मछलियों पांडियन शाही प्रतीक चिन्ह के रूप में। गर्भगृह की दीवारों पर पुरानी तमिल लिपि में कई शिलालेख हैं। गर्भगृह के ऊपर सोने का एक गोपुरम है जिसमें पीठासीन देवता कार्तिकेय स्वामी और उनके परिचारक देवी-देवताओं की कई मूर्तियां हैं। इसके अलावा एक मंदिर ऋषि भोगर का है जिन्हें किंवदंती के अनुसार, मुख्य मूर्ति के निर्माण और अभिषेक का श्रेय दिया जाता है। दूसरे परिसर में कार्तिकेय स्वामी के स्वर्ण रथ के गाड़ी-घर के अलावा भगवान गणपति का एक प्रसिद्ध मंदिर है।


मंदिर की धार्मिक परंपराएं


मंदिर बंद होने से पहले पीठासीन देवता की मूर्ति के सिर का चंदन के लेप से अभिषेक किया जाता है। कहा जाता है कि लेप को रात भर रहने दिया जाता है। औषधीय गुणों को प्राप्त करने के लिए कहा जाता है और भक्तों को रक्कल चंदनम के रुप में वितरित किया जाता है। भक्तों को प्रसाद के रूप में पंचमीर्थम प्रदान किया जाता है। 


मंदिर के त्यौहार


नियमित सेवाओं के अलावा, भगवान सुब्रमण्यम के पवित्र दिन हर साल धूमधाम और भव्यता के साथ मनाये जाते है। दक्षिण भारत से भक्तों की भीड़ शामिल होती है। इसमें से कुछ त्योहार थाई-पूसम, पंकुनी-उथ्थिरम, वैशाखी-विशाखाम और सूरा-संहारम हैं। थाई-पूसम, जिसे पलानी में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। तमिल थाई 15 जनवरी और 15 फरवरी की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।


अरुल्मिगु धनदायूंथापनी स्वामी  मंदिर कैसे पहुंचे

हवाई मार्ग - पलानी का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कोयंबटूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो यहां से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पलानी है जो कोयंबटूर-रामेश्वरम रेल लाइन पर स्थित है। पलानि के लिए मदुरै, कोयंबटूर और पलक्कड़ से ट्रेन मिलती है। चेन्नई से पलानि के लिए रेल की सुविधा अच्छी है।


सड़क मार्ग - सड़क मार्ग से पलानी पहुंचना बहुत आसान है क्योंकि तमिलनाडु राज्य परिवहन की कई बसें बड़े शहरों से पलानि के लिए चलाई जाती है। इसके अलावा केरल राज्य परिवहन की बसें, कोझिकोड, कासरगोड, आदि शहरों को पलानी से जोड़ती है।


मंदिर का समय - सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक।

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तेरा पल पल बीता जाए(Tera Pal Pal Beeta Jay Mukhse Japle Namah Shivay)

तेरा पल पल बीता जाए,
मुख से जप ले नमः शिवाय।

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार(Tera Ramji Karenge Bera Paar)

राम नाम सोहि जानिये,
जो रमता सकल जहान

तेरे बिना श्याम, हमारा नहीं कोई रे(Tere Bina Shyam Hamara Nahi Koi Re)

तेरे बिना श्याम,
हमारा नहीं कोई रे,

तेरे चरण कमल में श्याम(Tere Charan Kamal Mein Shyam)

तेरे चरण कमल में श्याम,
लिपट जाऊ राज बनके ।

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