भोग लगाने के बाद ही भोजन क्यों किया जाता है?

भगवान को भोग लगाने के बाद ही क्यों करते हैं भोजन, जानिए क्या है कारण  


हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना करने के दौरान देवी-देवताओं को भोग लगाने का विशेष महत्व है। बिना भगवान को भोग लगाए पूजा अधूरी मानी जाती है। भक्त अपने आराध्य या ईष्टदेव के लिए विभिन्न प्रकार के उनके प्रिय भोजन बनाते हैं और भोग लगाकर उनके प्रति प्रेम और आस्था को दर्शाते हैं। इतना ही नहीं, भगवान भी अपने भक्तों के द्वारा भोग को ग्रहण करते हैं और उनपर अपनी कृपा बरसाते हैं। आपको बता दें, भोग लगाने के बाद भोजन करने की परंपरा है। जब तक भक्त अपने आराध्य को भोग नहीं लगाते हैं, तब तक वह स्वयं ग्रहण नहीं करते हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं। 

भगवान को भोग लगाने का बाद भोजन करना दर्शाता है पवित्रता और भक्तिभाव


जब भी भक्त अपने आराध्य को भोग लगाते हैं, तो पूरी भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ उनके लिए भोजन बनाते हैं और फिर भगवान को अर्पित करते हैं।  भोग लगाने के बाद ही भक्त स्वयं ग्रहण करते हैं। भोग लगाने के बाद भोजन करना पवित्रता और शुद्धता को दर्शाता है। भक्त अपनी आत्मा की शुद्धि और मन की शुद्धि के साथ भगवान को भोग लगाकर स्वयं ग्रहण करते हैं। इससे जातकों के ऊपर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है। वहीं जब कोई व्यक्ति भगवान को भोग लगाकर स्वयं ग्रहण करता है, तो उसे पुण्य की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के शरीर और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

ज्योतिष शास्त्र में ऐसा कहा जाता है कि कि भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा व्यक्ति के जन्म कुंडली के मंगल ग्रह को शांत करती है। मंगल ग्रह को भोजन, कर्तव्य, और शारीरिक शक्ति का ग्रह माना जाता है। जब व्यक्ति भगवान को भोग अर्पित करता है, तो यह मंगल ग्रह के शुभ प्रभाव को बढ़ाता है, जो जीवन में उन्नति, शांति और समृद्धि का कारण बनता है। इसलिए, भोग अर्पित करने के बाद भोजन करने से ग्रहों की स्थिति अनुकूल बनती है।

भोग लगाने के बाद भोजन पवित्रता और अमृत के समान होता है और प्रसाद के रूप में जब भक्त भोजन को ग्रहण करते हैं, तो उनके ऊपर देवी-देवताओं की कृपी बनी रहती है। जिससे भक्त के जीवन में उनके आराध्य कभी भी परेशानियां नहीं आने देते हैं और उनकी हमेशा रक्षा भी करते हैं। 

शास्त्र के अनुसार, भगवान को भोग अर्पित करने से व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा और मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर भोजन पहले किया जाता है, तो वह तामसिक या नकारात्मक ऊर्जा से प्रभावित हो सकता है, जो मानसिक अशांति और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है। वहीं, भगवान को भोग अर्पित करने से वह भोजन सात्विक बनता है और व्यक्ति के शरीर, मन, और आत्मा में संतुलन बनाए रखता है।

वहीं बिना भोग अर्पित किए भोजन करने से नकारात्मक ग्रह प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा ज्योतिष में राहु और केतु के प्रभाव को भी ध्यान में रखा गया है। इन ग्रहों का संबंध तामसिक ऊर्जा से भी माना जाता है, जो व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकती है। यदि बिना भोग लगाए भोजन किया जाए, तो तामसिक गुण बढ़ सकते हैं, जिससे मानसिक अशांति और अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है। भोग अर्पित करने से इस ऊर्जा  नियंत्रित किया जा सकता है।

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