Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या के दिन होगा दूसरा अमृत स्नान, जानें क्यों माना जा रहा है इस दिन को बेहद खास
मौनी अमावस्या पर महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान होगा। इस बार अमावस्या तिथि को काफी खास माना जा रहा है। बता दें कि महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और रोजाना करीब लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए पहुंच रहे हैं। इस मेले में अमृत स्नान यानी शाही स्नान का विशेष महत्व है। दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025 को होने जा रहा है, जो मौनी अमावस्या के दिन पड़ेगा। तो आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं यह दिन इतना खास क्यों है।
जानिए मौनी अमावस्या क्यों है खास?
मौनी अमावस्या को माघी या माघ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन का खास महत्व है, क्योंकि इस दिन लोग मौन व्रत रखते हैं और पितरों का तर्पण करते हैं। ज्योतिष की माने तो इस दिन शुभ योग का भी निर्माण होने जा रहा है। इससे इस दिन का महत्व और भी अधिक हो गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में खुशहाली आती है। इतना ही नहीं, इस दिन पितृ को तर्पण और दान करने से ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है।
कब से कब तक है मौनी अमावस्या?
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6 बजकर 05 मिनट पर खत्म हो जाएगी।
जानिए अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त
उदयातिथि के आधार पर मौनी अमावस्या का स्नान 29 जनवरी को पड़ रहा है। यदि इस समय पर कोई स्नान,दान नहीं कर पाता है तो वह सूर्योदय से सूर्यास्त तक किसी भी समय पर स्नान दान कर सकता है। हालांकि, हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5.25 बजे से 6.18 बजे तक रहेगा। इसके बाद संध्या मुहूर्त 5.51 बजे से रात्रि 7.11 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। बता दें कि इस दिन संगम पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के एकत्र होने की संभावना है। साथ ही ध्यान रखें कि मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान करते समय मौन स्थिति मे ही डुबकी लगाएं।
मौनी अमावस्या पर बन रहा त्रिवेणी योग
मौनी अमावस्या और दूसरा अमृत स्नान महाकुंभ के सबसे खास और महत्वपूर्ण दिन हैं। इस दिन पितृ तर्पण और दान का महत्व बहुत बढ़ जाता है। इसके अलावा, इस दिन बनने वाले ज्योतिषीय संयोग इसे और भी खास बनाते हैं। ज्योतिष के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर चंद्रमा, बुध और सूर्य मकर राशि में त्रिवेणी योग बना रहे हैं। यह एक दुर्लभ संयोग है। जो इस दिन के महत्व को और बढ़ा देता है।