नवीनतम लेख
नवीनतम लेख
6 AM - 8 PM
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में कोसीकलां कस्बे के पास स्थित कोकिलावन धाम न सिर्फ भारत के प्राचीनतम शनिधामों में से एक है, बल्कि यह भक्ति, तप और आस्था का अद्भुत संगम भी है। यह वही स्थान है जहां शनिदेव ने अपने इष्टदेव भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए कठोर तपस्या की थी। आज भी यहां हर शनिवार लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं और ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ का जाप करते हुए परिक्रमा करते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने व्रज भूमि में अवतार लिया था, तब सभी देवी-देवता उनके दर्शन के लिए आए थे। शनिदेव भी नंदगांव पहुंचे, लेकिन मां यशोदा ने उन्हें श्रीकृष्ण के समीप नहीं आने दिया, यह सोचकर कि उनकी वक्र दृष्टि बालकृष्ण पर न पड़ जाए। इससे आहत होकर शनिदेव पास के जंगल में जाकर कठोर तप में लीन हो गए।
उनकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने कोयल के रूप में दर्शन दिए। श्रीकृष्ण ने शनिदेव से कहा, "यह कोकिला वन मेरा वन है, यहां जो तुम्हारी पूजा करेगा और परिक्रमा करेगा, उसे मेरी और तुम्हारी दोनों की कृपा प्राप्त होगी।"
तभी से इस स्थान को 'कोकिलावन' कहा जाने लगा और शनिदेव ने यहीं वास करना शुरू किया। इसीलिए इसे 'सिद्ध धाम' माना जाता है—जहां मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं।
कोकिलावन धाम में शनिदेव के साथ उनके गुरु बरखंडी बाबा की भी पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि शनिदेव ने तप से पहले उनसे मार्गदर्शन प्राप्त किया था। यह मंदिर भक्तों के बीच विशेष श्रद्धा का केंद्र है और यहां 'गुरु-शिष्य परंपरा' की एक अनुपम मिसाल देखी जा सकती है।
कोकिलावन धाम केवल शनिदेव तक सीमित नहीं है। यहां कई अन्य दिव्य स्थल भी हैं:
इन मंदिरों के साथ ही यहां दो प्राचीन सरोवर (सूर्यकुंड सहित) और एक विशाल गौशाला भी है। श्रद्धालु सूर्यकुंड में स्नान कर शनिदेव की मूर्ति पर सरसों का तेल चढ़ाते हैं।
मंदिर सोमवार से गुरुवार तक सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक और शुक्रवार-शनिवार को 24 घंटे खुला रहता है। रविवार को यह सुबह 8 से रात 9 बजे तक दर्शन के लिए खुलता है। यहां आने वाले श्रद्धालु लगभग 3 किलोमीटर लंबी ‘सवा कोसी परिक्रमा’ करते हैं। मान्यता है कि इस परिक्रमा और पूजा से शनिदेव की साढ़ेसाती, ढैय्या या किसी भी शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
यह धाम मथुरा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है और सड़क तथा रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। कोसीकलां रेलवे स्टेशन से यह स्थान कुछ ही दूरी पर है। मथुरा, वृंदावन या दिल्ली से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इतिहासकार बताते हैं कि जब यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था, तब लगभग 350 वर्ष पहले भरतपुर रियासत के राजा ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था। उन्होंने इसे एक भव्य स्वरूप प्रदान किया, जो आज भी उसी दिव्यता के साथ विद्यमान है।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
TH 75A, New Town Heights, Sector 86 Gurgaon, Haryana 122004
Our Services
Copyright © 2024 Bhakt Vatsal Media Pvt. Ltd. All Right Reserved. Design and Developed by Netking Technologies