श्री दुधेश्वरनाथ मंदिर,गाजियाबाद (Shri Dudheshwarnath Temple, Ghaziabad)

दर्शन समय

5:00 A.M - 12:30 P.M | 5:00 P.M - 9:30 P.M

रावण ने इस मंदिर में की थी भगवान शिव की पूजा, उत्तर प्रदेश के इस शहर में है स्थित 


गाज़ियाबाद के प्राचीन शिव मंदिर श्री दुधेश्वरनाथ का संबंध रावण काल से माना जाता है।  यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। देशभर में भगवान शिव के सैकड़ों मंदिर स्थापित हैं। हर एक मंदिर की अपनी-अपनी विशेषता और मान्यता है। ग़ाज़ियाबाद के इस दूधेश्वर नाथ मंदिर का संबंध रावण काल से जोड़ा जाता है। यहां पर जमीन से तीन फीट नीचे शिवलिंग मौजूद है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव खुद प्रकट हुए थे। गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ, देश के 8 प्रसिद्ध मठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर गाजियाबाद में जस्सीपुरा मोड़ के नजदीक स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में रावण और ऋषि विश्रवा जोकि रावण के पिता थे, उन्होंने पूजा-अर्चना की थी। 


श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर का संबंध रावण से


पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था। इस टीले पर कुछ लोग गाय चराने के लिए आया करते थे। लेकिन जब गाय यहां पर आती थी तो वह स्वयं दूध देने लगती थी। ऐसे में लोग इसे चमत्कार मानने लगे। वहीं दूसरी ओर कोट नामक गांव में उच्चकोटि के दसनामी जूना अखाड़े के एक सन्यासी सिद्ध महात्मा को भगवान शिव ने स्वप्न में दर्शन दिए और उस स्थान पर पहुंचने का आदेश दिया। प्रातः महात्मा अपने शिष्यों के साथ इस पावन स्थल पर पहुंच गए। इसके बाद खुदाई शुरू की गई। खुदाई के बाद शिवलिंग नजर आई। जिसके बाद आज उन्हें भगवान दूधेश्वर के रूप में पूजा जाता है। 


मंदिर की विशेषता 


हर साल शिवरात्रि पर यहां पर लाखों भक्तों का तांता लगता है। मंदिर को लेकर मान्यता है कि भक्त यहां पर जो भी मन्नत मांगते हैं, वह पूरी होती है। यहां पर सिर्फ शिवलिंग ही नहीं, बल्कि कुएं का भी महत्व है। जब यहां शिवलिंग मिला, उस वक्त लोगों ने जल की व्यवस्था के लिए खुदाई शुरू की। इस दौरान यहां एक कुआं भी मिला। बताया जाता है कि इस कुएं में से जो जल निकलता है वह मीठे दूध की तरह होता है। इसलिए लोग इसे रहस्यमय कुआं भी कहते हैं।   कहा जाता है कि इस कुएं का पानी दिन में तीन बार रंग बदलता है। कुएं को फिलहाल जाल से बंद किया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस कुएं की परिक्रमा करने से भी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही यहां की एक और मान्यता है। कहा जाता है कि रावण ने अपना दसवां सिर इसी मंदिर में भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित किया था। इस मान्यता के सामने आने के बाद से लोगों की आस्था मंदिर के प्रति और बढ़ती चली गई। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां एक समृद्ध पुस्तकालय भी है, जिसमें लगभग आठ सौ ग्रंथ हैं। यहां पर वेद शास्त्रों की शिक्षा लेने देश के कोने-कोने से विद्यार्थी आते हैं।


कैसे पहुंचे 


अगर आप श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो गाजियाबाद के अंतिम मेट्रो स्टेशन शहीद स्थल उतरकर, वहां से ई रिक्शा या ऑटो के माध्यम से मंदिर तक पहुंच सकते है। 

समय- सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:30 बजे, शाम 5:00 बजे से रात 9:30 बजे

डिसक्लेमर

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मंदिर