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श्री 1008 नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर (Shri 1008 Neminath Digambar Jain Temple)

श्री 1008 नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर (Shri 1008 Neminath Digambar Jain Temple)

कहां है श्री 1008 नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर? जानिए इसका इतिहास 


मनुष्य जैसे-जैसे नई जगहों पर निवास करता है, वह अपने साथ अपनी आस्था और भगवान का आशीर्वाद भी चाहता है। इसी भावना को साकार करते हुए इस मंदिर की आधारशिला रखी गई थी। बता दें कि श्री 1008 नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर का निर्माण कार्य एक छोटे से धार्मिक प्रयास से प्रारंभ हुआ था। वर्तमान में मंदिर का निर्माण कार्य प्रगति पर है और समाज से हर व्यक्ति से इस महान कार्य में सहयोग देने की अपील की जा रही है। तो आइए, इस आर्टिकल में श्री 1008 नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


जानिए इस मंदिर का इतिहास 


फरवरी 2015 में गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन के कुछ धर्मनिष्ठ जैन परिवारों ने अपनी धार्मिक आस्था को बनाए रखने के उद्देश्य से 1 घंटे के णमोकार मंत्र जाप का आयोजन किया। यह आयोजन इतना प्रभावशाली रहा कि इसे हर महीने के पहले रविवार को दोहराया जाने लगा। धीरे-धीरे इस धार्मिक आयोजन ने एक बड़ा रूप ले लिया, जिसमें जैन समाज के अनेक लोग जुड़ते चले गए। इस आयोजन की सफलता ने मंदिर निर्माण की परिकल्पना को जन्म दिया। तब 2 अप्रैल 2017 को णमोकार मंत्र पाठ के बाद एक समिति का गठन किया गया। इस समिति को 15 अक्टूबर 2017 को आधिकारिक मान्यता प्राप्त हुई। इसके बाद मंदिर निर्माण के लिए भूमि चयन और अधिग्रहण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। भगवान नेमिनाथ की कृपा से फरवरी 2018 में मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा हुआ।


2018 में हुई पद्मप्रभु की स्थापना 


18 फरवरी 2018 को 108 मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में मंदिर की आधारशिला रखी गई। यह शुभ अवसर राजनगर एक्सटेंशन के जैन समाज के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। इसके बाद 22 जुलाई 2018 को मंदिर में श्री 1008 पद्मप्रभु भगवान की मूर्ति की स्थापना की गई। यह दिन भक्तजनों के लिए अत्यंत हर्षोल्लास का था।


वर्तमान स्थिति और धार्मिक गतिविधियां


मंदिर को भव्य और विशाल रूप देने के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण कार्य लगातार प्रगति पर है। इस दौरान मंदिर परिसर में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जैसे दसलक्षण पर्व, अठाई और णमोकार मंत्र पाठ। इन आयोजनों से मंदिर ना केवल जैन समाज के लिए, बल्कि समस्त सनातन धर्म प्रेमियों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बनता जा रहा है। मंदिर समिति और समर्पित भक्तों के अथक प्रयासों से निर्माण कार्य सुचारु रूप से चल रहा है। मंदिर कमेटी द्वारा जैन समाज के हर सदस्य से अनुरोध किया गया है कि इस धार्मिक कार्य में अपना योगदान देकर इसे और भव्य बनाने में सहयोग करें। भगवान नेमिनाथ की कृपा से यह मंदिर ना केवल जैन समाज, बल्कि संपूर्ण समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।


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मोहिनी एकादशी नियम

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व होता है। पंचांग के अनुसार हर महीने में दो एकादशी आती हैं – एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं।

मोहिनी एकादशी के उपाय

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है, खासकर जब बात भगवान विष्णु को समर्पित व्रत की हो। साल भर में 24 एकादशियां आती हैं, लेकिन वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।

मोहिनी एकादशी कथा

हिंदू धर्म में हर एकादशी का खास महत्व होता है, लेकिन मोहिनी एकादशी का स्थान विशेष है। यह एकादशी भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की स्मृति में मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

नरसिंह जयंती की तिथि-मुहूर्त

हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के प्रत्येक अवतार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। उन्हीं में से एक है भगवान नरसिंह का अवतार, जिसे विष्णुजी का चौथा अवतार माना गया है।

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