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वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर को श्री कृष्ण-बलराम मंदिर के रूप में जाना जाता है। उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित यह मंदिर विश्व भर में सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय वैष्णव मंदिरों में से एक माना जाता है। रमन रेती क्षेत्र में स्थित यह मंदिर इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद के संकल्प का साकार रूप पेश करता है। यह मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला, आध्यात्मिक वातावरण और ऐतिहासिक महत्व के कारण भक्तों और पर्यटकों के दिलों में विशेष स्थान रखता है। तो आइए, इस आर्टिकल में वृंदावन, इस्कॉन मंदिर के इतिहास, महत्व और विशेषताओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
श्री कृष्ण-बलराम मंदिर अद्वितीय है। क्योंकि, यह भगवान कृष्ण और उनके बड़े भाई बलराम को समर्पित है। यह वह स्थान है जहाँ इन दोनों दिव्य भाइयों ने अपने बचपन के दिन बिताए थे। मंदिर में उनकी दिव्य मूर्तियां स्थापित हैं। यह भक्तों के लिए श्रद्धा और शक्ति का स्रोत हैं। यह मंदिर श्रील प्रभुपाद के द्वारा स्थापित किया गया है। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इस मंदिर के डिजाइन और निर्माण की हर प्रक्रिया की देखरेख की थी। मंदिर की भव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा इस बात को दर्शाती हैं। वहीं, मंदिर के प्रांगण में काले और सफेद संगमरमर से बना चेकर्ड पैटर्न और गलियारों में कृष्ण की लीलाओं को दर्शाती चित्रकारी यहां आने वाले भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
1975 में उद्घाटित यह मंदिर भारत में इस्कॉन द्वारा निर्मित पहला मंदिर है। सफेद संगमरमर से निर्मित इस भव्य मंदिर की संरचना इसे वृंदावन की सबसे प्रभावशाली इमारतों में से एक बनाती है। मंदिर की दीवारों और गुंबदों पर की गई नक्काशी इसकी विशिष्ट कारीगरी को दर्शाती है। बता दें कि इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क में श्री ए.सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी। इस्कॉन का मुख्य उद्देश्य श्री चैतन्य महाप्रभु के दिव्य संदेश को दुनिया भर में फैलाना है।
मंदिर परिसर बहुत वृहद और भव्य है। इसमें कई सुविधाएँ मौजूद हैं। यहां, भक्तों और पर्यटकों के आरामदायक प्रवास के लिए अतिथि गृह है। वहीं, ब्रह्मचारियों के निवास हेतु ब्रह्मचारी आश्रम भी है। इसके अलावा इस परिसर में बने रेस्तरां और बेकरी में स्वादिष्ट शुद्ध शाकाहारी भोजन भी उपलब्ध हैं। वहीं, मंदिर से जुड़ी वस्तुएँ और स्मृतियाँ खरीदने के लिए स्मारिका की एक विशेष दुकान है। साथ ही श्रील प्रभुपाद की परम पूज्य समाधि स्थल भी मौजूद है। बता दें कि इसी परिसर में कृष्ण बलराम मंदिर, गौरा निताई मंदिर और श्याम सुंदर मंदिर भी हैं।
मंदिर में प्रवेश पूरी तरह से निःशुल्क है। गर्मियों में सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक और शाम 4:30 बजे से रात 8:00 बजे तक दर्शन किया जा सकता है। वहीं, सर्दियों में सुबह 4:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 8:15 बजे तक दर्शन किया जा सकता है।
इस मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा नई दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह मंदिर से लगभग 167 किलोमीटर दूर है। वहीं, निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है। यह मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबकि, सड़क मार्ग की बात करें तो मथुरा-वृंदावन में ऑटो-रिक्शा या टैक्सी लेकर भी यहां आसानी से पहुँचा जा सकता है। बता दें कि वृंदावन में रहते हुए स्थानीय परिवहन के माध्यम से भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
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