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धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotram)

धन्वंतरि स्तोत्र (Dhanvantari Stotram)

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥


कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।

वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥


ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥


इति श्रीधन्वन्तरिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।


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दशमहाविद्या - काली

मां दुर्गा के सभी रूपों में काली, कालिका या महाकाली का स्थान बहुत ही खास है। यह दशमहाविद्या में सर्वप्रथम पूजनीय देवी है। काली हिन्दू धर्म की सबसे प्रमुख देवी भी हैं। मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी काली मैया के सबसे विकराल स्वरूपों में से एक है।

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