‘सुंदरकांड’ का नाम ‘सुंदरकांड’ ही क्यों रखा गया?

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 12th April 2025

रामनवमी के दिन तुलसीदास जी ने अपनी प्रमुख कृति रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की थी।

रामायण में श्री राम के संपूर्ण जीवन का वर्णन है। इस रचना को भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

इसके पांचवे भाग सुंदरकांड में हनुमान जी की बुद्धि और बल के बारे में विस्तार से बताया है।

शास्त्रों के अनुसार, हनुमान की भेंट मां सीता से सुंदर पर्वत पर बने अशोक वाटिका में हुई थी।

हनुमान जी की माता सीता से सुंदर पर्वत पर भेंट होने के कारण इसे सुंदरकांड कहा जाता है।

एक और कथा के अनुसार, हनुमान जी की माता अंजनी उन्हें सुंदरा नाम से पुकारती थीं।

हनुमान जी का एक नाम सुंदरा होने की वजह से भी इस भाग को सुंदरकांड कहा जाता है।