समुद्र मंथन से जुड़ी कुंभ मेले की कहानी

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 30th Nov 2024

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जो पौराणिक और ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, जहां-जहां अमृत की बूंदें गिरीं, वहां कुंभ पर्व की परंपरा आरंभ हुई।

समुद्र मंथन भारतीय पौराणिक कथाओं की सबसे प्रसिद्ध घटनाओं में से एक है। यह मंथन देवताओं और असरों ने किया था।

देवताओं और असुरों ने ये मंथन अमृत पाने के लिए किया था। विष्णु जी की सलाह पर सागर मंथन का आयोजन हुआ।

मंथन के दौरान 14 रत्न निकले, जिन्हें देवताओं और असुरों के बीच बांटा गया। अंत में अमृत कलश निकला।

इसे लेकर देवताओं और असुरों में विवाद हो गया। कलश को सुरक्षित रखने के लिए इंद्र के पुत्र जयंत ने आकाश में उड़ान भरी।

12 दिनों तक देवताओं और असुरों के बीच युद्ध चला। इन दौरान अमृत की बूंदे हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिरीं।

इसके बाद से कुंभ में मेले का आयोजन हर 12 साल में इन चार प्रमुख स्थलों पर होता है। ये परंपरा तभी से चली आ रही है।

सिर्फ प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही क्यों लगता है कुंभ मेला