पैर छूने की परंपरा कैसे शुरू हुई?

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 28th Dec 2024

भारतीय सनातन धर्म में अपने से बड़े लोगों के पैर छूने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले माता-पिता, गुरू या ईश्वर के चरण स्पर्श करते हैं।

कोई झुककर या फिर घुटनों के बल बैठकर प्रणाम करता है और कोई साष्टांग प्रणाम करता है।

ऐसा माना जाता है कि अपने से बड़े लोगों के पैर छूने से नवग्रहों से जुड़े दोष भी दूर हो जाते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, पैर छूने की परंपरा आज से नहीं बल्कि देवी-देवताओं के समय से चली आ रही है।

जब राज महलों में गुरु या ऋषि-मुनि आते थे तो राजा स्वयं उनके पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे।

माना जाता है कि अपने आत्मीयजनों के प्रति सतकार प्रकट करने के लिए उनके पैर छुए जाते हैं।

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