नवरात्रि के चौथे दिन होती है देवी कूष्मांडा की आराधना, जानें पूजा-विधि

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Team Bhakt Vatsal 4th October 2024

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा के स्वरूप में भक्तों के कष्ट दूर करने आती हैं।

मां की आठ भुजाएं हैं। अष्टभुजा वाली दिव्य स्वरूप में देवी अपने सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृत कलश, चक्र तथा गदा धारण किए हुए हैं।

चौथे दिन सर्वप्रथम कलश पूजा करें। फिर सभी देवी-देवता का आह्वान करें। इसके बाद देवी कुष्मांडा की पूजा करें।

देवी की पूजा की शुरूआत हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करने से करें। इसके बाद व्रत और पूजन का संकल्प लें।

वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां कूष्माण्डा की पूजा करें। पूजा के दौरान आह्वान और आचमन करें।

पूजा सामग्री में सौभाग्य का सामान, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा आदि रखें।

आरती के बाद प्रदक्षिणा और मंत्र पुष्पांजलि से पूजन संपन्न करें।

इस मंत्र का जाप करें: 'या देवी सर्वभू‍तेषु मां कुष्मांडा रूपेण              संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो                नम:।।'

मां कुष्मांडा के पूजन वाले दिन बड़े मस्तक वाली तेजस्वी विवाहित स्त्री का पूजन बहुत लाभदायक बताया गया हैं।

उन्हें भोजन में दही, हलवा खिलाने से मैय्या प्रसन्न होती हैं। साथ ही फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान भेंट करने का विधान भी है।

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