नवरात्रि के छठे दिन की जाती है देवी कात्यायनी की पूजा, जानें पूजा-विधि और महत्व
WRITTEN BYTeam Bhaktvatsal
7th October 2024
नवरात्रि की छठी तिथि को मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है। यह मां पार्वती का दूसरा नाम है। मां भगवती त्रिदेवों के क्रोध से उत्पन्न हुई थीं।
मैया का यह रूप अत्यंत चमकीला और आभा से भरा है। मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। इनमें माताजी दाहिनी तरफ ऊपर वाले हाथ से भक्तों को अभयमुद्रा में आशीर्वाद दे रही हैं।
वहीं माता का नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में मां तलवार धारण किए हुए हैं। मैया अपने नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प लिए हुए हैं।
मां कात्यायनी की पूजा प्रदोष काल यानी गोधूली बेला में करना श्रेष्ठ माना गया है। इनकी पूजा में शहद का प्रयोग जरूर किया जाना चाहिए।
शहद युक्त पान का भोग भी देवी कात्यायनी को लगाएं। देवी कात्यायनी की पूजा में लाल रंग के कपड़ों का भी विशेष महत्व है।
देवी कात्यायनी की पूजा करने से शक्ति का संचार होता है। मैया दुश्मनों पर विजय की शक्ति प्रदान करने वाली हैं।
मां कात्यायनी की पूजा से अविवाहित लड़कियों के विवाह के योग बनते हैं। देवी कात्यायनी भक्तों के सभी रोग, शोक, संताप, भय आदि का नाश करती है।
मां कात्यायनी का मंत्र: चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना । कात्यायनी च शुभदा देवी दानवघातिनी ॥
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