नागा साधु कितने प्रकार के होते हैं?

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 03rd Jan 2025

सनातन धर्म में साधु-संत का बहुत महत्व है। ये भारत की प्राचीन परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं।

इनका जीवन तपस्या, साधना और आत्मज्ञान की खोज में समर्पित रहता है। इन्हें कठिनाइयों का सामना करना होता है।

नागा साधुओं को मुख्य रूप से महाकुंभ के चार स्थानों के अनुसार ही चार प्रकार में बांटा गया है।

प्रयागराज के महाकुंभ दीक्षा लेने वाले साधुओं को नागा कहा जाता है। इनकी दीक्षा प्रयागराज में होती है।

उज्जैन में दीक्षा लेने वाले साधुओं को खूनी नागा कहा जाता है। इनकी दीक्षा उज्जैन में ही पूरी होती है।

हरिद्वार में दीक्षा लेने वाले साधुओं को बर्फानी नागा कहा जाता है। इन नागा साधुओं की दीक्षा हरिद्वार में होती है।

नासिक में दीक्षा लेने वाले साधुओं को खिचड़िया नागा कहा जाता है। इनकी दीक्षा नासिक में ही पूर्ण होती है।