मोक्ष की प्राप्ति के लिए राजा जनक ने यहां किया था कल्पवास

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 10th Jan 2025

महाकुंभ का सनातन धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। इसमें कल्पवास की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है।

ऐसा माना जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत मिथिला के राजा और माता सीता के पिता जनक ने की थी।

सिमरिया धाम को मिथिला का द्वार कहा जाता है। सिमरिया धाम को मुक्ति धाम के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि मिथिला के राजा जनक ने कल्पवास की शुरुआत बिहार के सिमरिया गंगा धाम से की थी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जीवन के अंतिम काल में राजा जनक ने अपने शरीर का परित्याग किया था।

सिमरिया कल्पवास मेला मे भारत के आलावा नेपाल से भी भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और लाभ उठाते हैं।

मोक्ष प्राप्ति के लिए लोग मां गंगा और तुलसी चौरा का पूजन एक महीने तक गंगा के तट पर रहकर करते हैं।