मां लक्ष्मी का तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी, जानें महिमा और धार्मिक महत्व

मां लक्ष्मी के 8 स्वरूप हैं। हर स्वरूप की महिमा अपरंपार है।

मां लक्ष्मी का तीसरा अवतार धान्य लक्ष्मी हैं। उन्हें माता अन्नपूर्णा का ही एक स्वरूप माना जाता है।

धान्य लक्ष्मी अन्न में विराजमान हैं। इसलिए कहा जाता है कि जो व्यक्ति अन्न का अनादर नहीं करता है।

खाना नहीं छोड़ता और जरूरतमंदों को भोजन कराता है। उसपर मां धान्य लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल में पांडवों को वनवास के दौरान भोजन खोजने में बहुत कठिनाई हो रही थी।

तभी धान्य लक्ष्मी के कारण ही पांडव इस कठिन परीक्षा से बच पाए और अपनी भूख मिटा पाए। देवी मां ने उनकी सहायता की।

धान्य लक्ष्मी को अष्टभुज रूप में दर्शाया जाता है। वे हरे रंग के वस्त्र धारण किए हुए कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं।

देवी अपने दो हाथों में कमल, एक में गदा, एक में धान की फसल, एक में गन्ना एवं केले लिए हैं। उनके हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं।