छोटी, बड़ी और देव दिवाली में क्या अंतर है, जानें सबकुछ
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को छोटी दिवाली, अमावस्या के दिन बड़ी दिवाली और पूर्णिमा तिथि को देव दिवाली मनाई जाती है।
छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध किया गया था।
साथ ही नरकासुर के कैद से सोलह हजार स्त्रियों को आजाद करवाया था। देवता और आजाद स्त्रियां इस दिन बहुत खुश हुई थीं। इसलिए उन्होंने दीपक जलाकर त्योहार मनाया था।
बड़ी दिवाली के दिन रात में माता लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती जी की पूजा होती है। वहीं बंगाल में माता काली की पूजा की जाती है।
बड़ी दिवाली को लेकर मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीराम लंका से अयोध्या आए थे। अयोध्यावासियों ने इस दिन को त्योहार की तरह धूमधाम से मनाया था।
कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाती है। है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था।
इस खुशी में देवता गणों ने गंगा के तट पर स्नान कर दीप जलाए थे। तभी से कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी के किनारे दीपदान करते हैं।
भारत के इन राज्यों में अनोखे अंदाज में मनाई जाती है दिवाली, जानें परंपराएं