अहोई अष्टमी पर बन
रहे
ये संयोग, तारों को इस समय दें अर्घ्य
अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए ये व्रत करती हैं।
माताएं करवा चौथ की तरह ही इस व्रत को बिना पानी पिए (निर्जला) रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और अहोई माता की पूजा होती है।
ज्योतिष के अनुसार, अहोई अष्टमी के दिन कई शुभ योग बनते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
इस पावन अवसर पर साध्य योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और गुरु पुष्य योग का संयोग है।
पंचांग के अनुसार अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से 25 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 32 मिनट तक बन रहा है।
इसके साथ ही गुरु पुष्य योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रहा है, जो अगले दिन तक रहने वाला है।
अहोई अष्टमी पर तारों को देखकर अर्घ्य देने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन अनगिनत तारों की पूजा की जाए तो परिवार में संतान की प्राप्ति होती है।
महिलाएं देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि जिस प्रकार से आकाश में तारे सदैव चमकते रहते हैं। उसी प्रकार हमारे बच्चे का भविष्य भी हमेशा चमकता रहे।
आकाश में चमकते तारे अहोई माता के वंशज माने जाते हैं। इसलिए तारों को अर्घ्य दिए बिना अहोई अष्टमी का व्रत पूरा नहीं माना जाता है।