जिस सांप से हुआ था समुद्र मंथन, यहां है उसका भव्य मंदिर

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 05th Feb 2025

उत्तर प्रदेश के तीर्थराज प्रयागराज के पौराणिक मंदिरों में नाग वासुकी मंदिर का विशेष स्थान है।

प्रयागराज महाकुंभ मेले के दौरान यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना होती है।

माना जाता है कि भारतीय सनातन धर्म में प्राचीन काल से नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

मान्यता है प्रयागराज में संगम स्नान के बाद नाग वासुकी का दर्शन करने से ही पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।

नाग वासुकी जी कथा का वर्णन स्कंद पुराण, पद्म पुराण, भागवत पुराण और महाभारत में भी मिलता है।

समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, मंथन के दौरान नागवासुकी जी को रस्सी बनाकर यह कार्य सम्पूर्ण हुआ था।

मंदराचल पर्वत की रगड़ से शरीर छिलने पर देवताओं के कहने पर नागवासुकी ने प्रयागराज के संगम में स्नान किया था।

महाकुंभ में स्नान के बाद इस शक्तिपीठ के करें दर्शन