जानें महाकाल की भस्म आरती का रहस्य
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
19th Nov 2024
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है।
मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। इसके साथ कई पौराणिक रहस्य भी जुड़े हैं।
यह पहला ऐसा मंदिर है जहां शिवजी की दिन में 6 बार आरती की जाती है।
महाकाल में सबसे पहले सुबह 4 बजे भस्म आरती होती है, जिसे मंगला आरती भी कहते हैं।
वर्षों पहले महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाने की परंपरा थी।
पिछले कुछ सालों से गाय के गोबर के कंडे, बेर की लकड़ियों को जलाकर बनी भस्म का इस्तेमाल होता है।
मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग पर चढ़े भस्म को प्रसाद रूप में ग्रहण करने से रोग दोष से भी मुक्ति मिलती है।
कहा जाता है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं। भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है।
भस्म यानी राख देह का अंतिम सत्य और सृष्टि का सार है। बाबा को भस्म लगाना संसार के नाशवान होने का संदेश है।
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