नवरात्रि के पांचवें दिन करें स्कंदमाता की उपासना, जानें पूजन-विधि
WRITTEN BYTeamBhaktvatsal
4th October 2024
नवरात्रि का पांचवें दिन स्कंदमाता की उपासना की जाती है। मैया का ये रूप मोक्ष और सुख देने वाला है।
भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय को स्कंद नाम से भी पूजा गया है। भगवान स्कंद की माता होने के कारण उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।
इस स्वरूप में चार भुजाओं वाली माता के दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प, बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरमुद्रा और नीचे वाली भुजा में भी कमल पुष्प है।
मैया के इस स्वरूप में भगवान स्कंद बालरूप में मां गोद में विराजित हैं। शुभ्र वर्ण वाली मैया कमल के आसन पर विराजमान हैं। इस कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा गया है।
स्कंदमाता की पूजा करने के लिए सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर रखें। फिर गंगा जल या गोमूत्र से भूमि शुद्धिकरण करें।
चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश की स्थापना करें। फिर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह की स्थापना चौकी पर करें। मां की प्रतिमा को चुनरी चढ़ाएं।
व्रत, पूजन का संकल्प लेकर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित सभी देवताओं का आह्वान करें।