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उज्जयिनी चंडिका शक्तिपीठ, बर्धमान, पश्चिम बंगाल (Ujjaini Chandika Shaktipeeth, Bardhaman, West Bengal)

उज्जयिनी चंडिका शक्तिपीठ, बर्धमान, पश्चिम बंगाल (Ujjaini Chandika Shaktipeeth, Bardhaman, West Bengal)

माता सती की दाहिनी कलाई

माता सती के दाहिने हाथ से हुआ चंडिका शक्तिपीठ का निर्माण, दुर्गा के चंडी अवतार की पूजा होती है

पश्चिम बंगाल के चंडिका शक्तिपीठ में माता सती के चंडी और भगवान शिव के कपिलंबर स्वरूप की पूजा होती है। यह पीठ बर्धमान जिले के गुस्करा के उजानी गांव में स्थित है। कहा जाता है माता सती की यहां दाहिनी कलाई गिरी थी।


मंगल चंडिका के नाम से प्रसिद्ध

यह देवी को मंगल चंडिका भी कहा जाता है। चंडी शब्द का अर्थ है कुशल और मंगल का अर्थ है कल्याण यानि देवी जो कल्याण करने में कुशल हैं वह मंगल चंडिका कहलाती हैं। इसके अलावा दुर्गा के चंडी अवतार और पृथ्वी के पुत्र मंगल से भी इस स्थान का नाम पड़ने की कहानियां मिलती हैं।


मंगलवार और शनिवार दर्शन करना शुभ

मंदिर की इमारत साधारण है। लेकिन मंदिर का प्रांगण खूबसूरत पेड़ों से समृद्ध है जो सदियों से संरक्षित हैं। गर्भगृह के अंदर देवताओं की दो मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। एक देवी मंगल चंडी की है और दूसरी भगवान शिव की है। मंदिर का समय सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक है। किसी भी शक्तिपीठ के दर्शन के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन सर्वोत्तम होता है और यही नियम यहां भी लागू होता है। 


शक्तिपीठ, बर्धमान से 38 किमी, कोलकाता हवाई अड्डे से 138 किमी दूर स्थित है। मंदिर का निकटतम स्टेशन गुस्करा मात्र 20 किमी दूर है। बस कनेक्टिविटी मात्र 3 किमी दूरी पर है।


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तू मेरा राखा सबनी थाई - गुरुवाणी शब्द कीर्तन (Tu Mera Rakha Sabni Thai)

तू मेरा राखा, सबनी थाई
तां भौ के हा काढा जी,

तू प्यार का सागर है: भजन (Tu Pyar Ka Sagar Hai)

तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।

तू शब्दों का दास रे जोगी - भजन (Tu Sabdon Ka Das Re Jogi)

सबदा मारा मर गया,
सबदा छोडियो राज ।

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