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त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर शहर में स्थित है। इस स्थान पर देवी सती बायाँ स्तन गिरा था। यहां सती को त्रिपुरमालिनी और भगवान शिव को भीषण कहा जाता है। वशिष्ठ, व्यास, मनु, जमदग्नि, परशुराम आदि जैसे विभिन्न ऋषियों ने यहाँ त्रिपुरमालिनी के रूप में आद्या शक्ति की पूजा की थी। इस शक्तिपीठ की पूजा पुत्र प्राप्ति के लिए की जाती है। इस शक्तिपीठ को स्तन पीठ के नाम से भी जाना जाता है।
मां त्रिपुरमालिनी मंदिर में हर शुक्रवार को भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। इसके लिए विख्यात भजन लेखक दिवंगत बलबीर निर्दोष ने मंदिर कमेटी के सदस्यों के साथ मिलकर इस स्थान का प्रचार शुरू किया था। इन दिनों यहां पर शुक्रवार को होने वाली भजन संध्या में राज्य भर से भजन गायक शामिल होकर मां के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। इसी तरह अप्रैल में मंदिर में वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें देशभर से मां भक्तों शामिल होकर धार्मिक रस्में पूरी करते हैं।
अमरनाथ जैसे मंदिर कर सकते हैं दर्शन
12 सीढ़ियां चढ़ने के बाद मंदिर का दरबार आता है। एक तरफ पीपल का पेड़ और मां का झूला है जो आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत है। त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ की पुरानी संरचना का जीर्णोद्धार कर इसे आज के रूप में बदल दिया गया है। मंदिर परिसर में नए खंड भी जोड़े गए हैं। यहाँ एक पुराना और विशाल तालाब है, जो मुख्य आकर्षण है और यही कारण है कि देवी तालाब मंदिर को इसका नाम मिला। मुख्य मंदिर के अलावा देवी काली को समर्पित एक मंदिर भी है। हाल ही में, अमरनाथ गुफा मंदिर जैसी एक संरचना मंदिर परिसर में जोड़ी गई है।
जालंधर रेलवे स्टेशन से माता का त्रिपुरमालिनी शक्तिपीठ 1 से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां पैदल या ऑटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है। आप जालंधर हवाई अड्डे से भी बस या ऑटो लेकर मंदिर तक पहुँच सकते है।
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