उत्तर प्रदेश की संगम नगरी, प्रयागराज, मे प्रयाग शक्तिपीठ या ललिता देवी मंदिर स्थित है। मान्यता है यहां माता सती की अंगुलियां गिरी थी। यह स्थान संगम तट से मात्र 5 किमी की दूरी पर स्थित है। प्रयागराज शहर के मध्य में यमुना नदी के किनारे मीरापुर स्थित मोहल्ले में स्थित है। माना जाता है कि प्रयागराज में मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती मां ललिता के चरण स्पर्श करते हुए प्रवाहित हो रही हैं। यही कारण है कि संगम स्नान के पश्चात् इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन का विशेष महत्व है। यहां माता सती को ललिता देवी और भगवान शिव को बेनीमाधव के नाम से पूजा जाता है।
दुर्गासप्तशती में माता को हृदये ललिता देवी कहा गया है, जिसका अर्थ है कि मां ललिता प्रत्येक प्राणी के हृदय में वास करती हैं। ललिता देवी मंदिर का निर्माण श्री यंत्र पर आधारित है। मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार किया गया है और आखिरी जीर्णोद्धार वर्ष 1987 में हुआ था। इस मंदिर में मुख्य देवी की पूजा तीन रूपों में की जाती है - माँ ललिता, माँ सरस्वती और महाकाली। मंदिर के अंदर एक छोटा मंदिर है जिसमें पारे से बना शिवलिंग है। इसके अलावा मंदिर में संकटमोचन हनुमान, श्री राम, लक्ष्मण, सीता और नवग्रहों की मूर्तियाँ हैं।
शक्तिपीठ से मात्र 12 किमी दूर इलाहाबाद एयरपोर्ट है। इसके अलावा प्रयागराज रेल और सड़क मार्ग से देश और दुनिया से जुड़ा हुआ है।
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भारत में विभिन्न त्योहारों और व्रतों का महत्व है, जिनमें से एक जीवित्पुत्रिका व्रत है। इसे जीतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए रखती हैं।
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। पूरे साल में 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं, जिनमें से सितंबर माह में दो महत्वपूर्ण एकादशी हैं: परिवर्तिनी एकादशी और इंदिरा एकादशी।