सती माता का मुकुट
माता सती के मुकुुट से बना किरीटेश्वरी शक्तिपीठ, घूंघट से ढके काले पत्थर की होती है पूजा
किरीटेश्वरी शक्तिपीठ मुर्शिदाबाद जिले के लालबाग के पास किरीट कोना गांव में स्थित है। माना जाता है यहां मां सती का मुकुट गिरा था। किरीटेश्वरी मंदिर में देवी की पूजा विमला के रूप में की जाती है, जबकि भगवान शिव को संवर्त के नाम से जाना जाता है। मां किरीटेश्वरी मंदिर में शक्ति पीठ को उप पीठ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यहां कोई अंग नहीं बल्कि उनका आभूषण गिरा था। यह बंगाल के उन कुछ मंदिरों में से एक है जहां कोई देवता नहीं है, लेकिन एक शुभ काले पत्थर की पूजा की जाती है। पत्थर को हमेशा घूंघट से ढका जाता है और हर दुर्गाष्टमी पर इसे बदला जाता है और पवित्र स्नान कराया जाता है। कहा जाता है कि मंदिर के सामने स्थित रानी भवानी के गुप्त मठ में माता सती मुकुट सुरक्षित रखा गया है।
एक हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास
किरीटेश्वरी मंदिर शक्तिपीठ मुर्शिदाबाद 1000 साल से भी अधिक पुराना है। इस स्थान को महामाया की शयन भूमि यानी सोने का स्थान भी माना जाता है।
राजा दर्पनारायण ने 19वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण करवाया था। 1405 में बना मूल मंदिर एक बड़ी आग के कारण नष्ट हो गया था। मुर्शिदाबाद के स्वर्णिम दिनों में माँ किरीटेश्वरी मुर्शिदाबाद के शासक घराने की प्रमुख देवी थीं। एक समय में मंदिर परिसर में विभिन्न देवताओं के 16 मंदिर हुआ करते थे। किसी भी शक्तिपीठ के शाश्वत संरक्षक भैरव भी यहीं स्थित हैं। इस मंदिर का उल्लेख पुराणों और आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं में मिलता है।
बंगाल के नवाब मीर जाफर से जुड़ी मंदिर की कहानी
माँ किरीटेश्वरी के मंदिर के बारे में कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। माना जाता है कि बंगला के नवाब सुल्तान मीर जाफर जब अपने अतिंम समय में कुष्ठ से तड़प रहे थे तो उन्होंने मां किरीटेश्वरी का चरणामृत पीने की इच्छा जताई थी।
एक और कहानी रानी भवानी की बेटी तारा के बारे में है। स्थानीय लोगों का मानना है कि उन्हें माता विमला ने नवाब सिराजुद्दौला की बुरी इच्छाओं से बचाया था। बंगाल में अस्थायी रूप से उसे चेचक की बीमारी हो गई थी। जब सिराज उसके पास पहुंचा, तो उसे चेचक से पीड़ित देखकर वह तुरंत चला गया। बाद में, माँ विमला या किरीटेश्वरी के आशीर्वाद से कुछ समय बाद तारा ठीक हो गई।
कोलकाता से 195 किमी दूर स्थित है
निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता में है, जो मुर्शिदाबाद से लगभग 195 किमी दूर स्थित है। हवाई अड्डा मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और बेंगलुरु सहित भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से मुर्शिदाबाद के लिए टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
मुर्शिदाबाद रेलवे स्टेशन हावड़ा, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और कई अन्य भारतीय शहरों से ट्रेन सुविधा है। स्टेशन से टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं। मुर्शिदाबाद सड़क मार्ग से कोलकाता, बर्धमान, रामपुरहाट, सूरी, बोलपुर, मालदा, कृष्णानगर और दुर्गापुर से जुड़ा हुआ है।
नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन दिनों देवी के दर्शन और विधिपूर्वक पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।
शारदीय नवरात्रि 2024 में इस बार की सभी नौ तिथियों में दो तिथियों के घटने बढ़ने के कारण ऐसा हो रहा है। इस बार तिथि भेद के चलते नवरात्र में पंचमी तिथि दो दिन विद्यमान रहेगी, वहीं अष्टमी और नवमी तिथि एकसाथ होगी।
प्रतिमा साल भर टेढ़ी मुद्रा में रहती है। राम नवमी के दिन यह प्रतिमा सीधी हो जाती है। इसी दिन देवी की आरती और पूजा लाठियों से की जाती है।
भगवान श्री राम ने रावण का वध करने से पहले देवी के सभी नौ रूपों की पूरी विधि-विधान के साथ नौ दिनों तक पूजा की। मां के आशीर्वाद से दसवें दिन दशानन रावण का वध किया था। यही नौ दिन नवरात्रि के थे और दसवें दिन विजयादशमी।