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दंतेश्वरी शक्तिपीठ, छत्तीसगढ़ (Danteshwari Shaktipeeth, Chhattisgarh)

देशभर में आदिवासियों की देवी के रूप में मशहूर हैं दंतेवाड़ा की दंतेश्वरी देवी, नवरात्रि पर होती है गुप्त पूजा


छत्तीसगढ़ आदिवासी समुदाय बहुल क्षेत्र बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी का मंदिर दंतेवाड़ा में शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम तट पर स्थित है। माता सती के दांत यहां गिरे थे, इसलिए यह स्थल दंतेश्वरी शक्तिपीठ कहलाता है। यहां माता सती को दंतेश्वरी और भगवान शिव को कपालबहिर्वा के नाम से पूजा जाता है।


बस्तर संभाग की देवी मानी जाती हैं दंतेश्वरी मां


माता दंतेश्वरी समस्त बस्तर संभाग की देवी मानी जाती है। समूचे देश से लोग यहां आदिवासी समाज की माँ से आशीर्वाद लेने आते है। दंतेश्वरी माई की मूर्ति काले पत्थर से तराशी गई है। मंदिर को चार भागों में विभाजित किया गया है जैसे गर्भगृह, महा मंडप, मुख्य मंडप और सभा मंडप। गर्भगृह और महा मंडप का निर्माण पत्थर के टुकड़ों से किया गया था। मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने एक गरुड़ स्तंभ है। मंदिर खुद एक विशाल प्रांगण में स्थित है जो विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। शिखर को मूर्तिकला की सजावट से सजाया गया है।


फाल्गुन में होती नौ दिन की विशेष पूजा


होली से पहले यहाँ नौ दिवसीय फाल्गुन मड़ई नामक त्यौहार का आयोजन होता है। यह त्यौहार पूर्ण रूप से आदिवासी संस्कृति और जनजातीय विरासत से सुसज्जित त्यौहार है। इस त्यौहार के दौरान हर दिन माता दंतेश्वरी की डोली लगभग 250 देवी-देवताओं के साथ नगर भ्रमण पर निकलती हैं। आदिवासी समुदाय नृत्य आदि के द्वारा इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं। हर साल नवरात्रि के दौरान पंचमी तिथि को यहाँ गुप्त पूजा का आयोजन किया जाता है। इस अनुष्ठान में मात्र मंदिर के पुजारी और उनके सहयोगी ही उपस्थित रहते हैं। आम लोगों को इस दौरान मंदिर में प्रवेश की मनाही होती है।


बस्तर दशहरा पर मंदिर से बाहर निकलती हैं देवी


दंतेश्वरी शक्तिपीठ में प्रतिवर्ष वासंती और शारदीय नवरात्र के अलावा 10 दिवसीय आखेट नवरात्र भी मनाया जाता है। इसे फागुन मड़ई भी कहते हैं। हर साल दशहरा के दौरान आसपास के गांवों और जंगलों से हजारों आदिवासी देवी को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं, जब उनकी मूर्ति को उस प्राचीन दंतेश्वरी मंदिर से बाहर निकाला जाता है और फिर एक विस्तृत जुलूस के साथ शहर भर में ले जाया जाता है, जो अब 'बस्तर दशहरा' उत्सव का एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। यहां नवरात्रि के दौरान ज्योति कलश जलाने की भी परंपरा है।


रायपुर और विशाखापट्टनम निकटतम प्रमुख हवाई अड्डे हैं, ये दोनों जगह जिले मुख्यालय दंतेवाड़ा से सड़क मार्ग दूरी करीब 400 किलोमीटर हैं। जगदलपुर निकटतम मिनी हवाई अड्डा है जिसमें रायपुर और विशाखापट्टनम दोनों के साथ हवाई कनेक्टिविटी है। विशाखापट्टनम जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से ट्रेन से जुड़ा हुआ है। विशाखापट्टनम और दंतेवाड़ा के बीच दो दैनिक ट्रेनें उपलब्ध हैं। रायपुर और दंतेवाड़ा के बीच नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं, दंतेवाड़ा नियमित बस सेवाओं के माध्यम से हैदराबाद और विशाखापट्टनम से भी जुड़ा हुआ है।

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