न्याय शास्त्र की रचना महर्षि गौतम द्वारा की गई थी. गौतम ऋषि ने इस शास्त्र में पदार्थों के तत्वज्ञान से मोक्ष प्राप्त करने का वर्णन किया है।न्याय शास्त्र में ब्रह्म ज्ञान द्वारा असत्य की मुक्ति, अशुभ कर्मों की जानकारी, दुखों और मोह से निजात पाने का ज्ञान दिया गया है। इसके अलावा इसी शास्त्र में ईश्वर को सृष्टिकर्ता, सर्व शक्तिमान माना गया है साथ ही शरीर से और आत्मा अलग हैं इस बारे में भी बात की गई है।
विद्वानों के अनुसार न्याय शास्त्र “प्रमाणैरर्थपरीक्षणं न्याय” सिद्धांत पर आधारित है जिसका अर्थ होता है “प्रमाणों द्वारा अर्थ का परिक्षण जिसे न्याय” कहते हैं। चूंकि न्याय शास्त्र में दिए गए विषय तर्क संगत हैं और विद्वान इन पर तर्क करते रहते हैं इसलिए न्याय शास्त्र का एक नाम तर्क शास्त्र भी है। न्यायशास्त्र का अपना विशिष्ट स्थान है जिसमें प्रमाण, प्रमेय, संशय, प्रयोजन, दृष्टांत, सिद्धांत, अवयव, तर्क, निर्णय, वाद, जल्प, वितण्डा, हेत्वाभास, छल, जाति और निग्रह स्थान जैसे षोडश पदार्थों को स्वीकार किया गया है, जिनके तत्व ज्ञान से मोक्ष का लाभ होता है।
हिंदू धर्म में हर एक दिन का एक खास और अलग-अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक दिन सोमवार का है, जो देवों के देव महादेव को समर्पित है। बता दें कि सोमवार का दिन शिव जी की पूजा और उपासना के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
सनातन धर्म में मंगलवार के दिन का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि मंगलवार का दिन बजरंगबली को बहुत ही प्रिय है। इस दिन मंगल देवता और भगवान हनुमान जी की पूजा करने का विधान है।
सनातन धर्म में प्रत्येक दिन का अपना एक खास और अलग महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित होता है।
हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन को किसी न किसी देवी-देवता के नाम समर्पित किया गया है। आपको बता दें कि गुरुवार यानी बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है।