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ऋषि गौतम (Rishi Gautam)

ऋषि गौतम (Rishi Gautam)

गौतम का उल्लेख ऋग्वेद में अनेक बार हुआ है, किन्तु किसी ऋचा के रचयिता के रूप में गौतम को कभी नहीं देखा गया। यह स्पष्ट है कि उनका सम्बन्ध आंगिरसों से था, क्योंकि गोतम प्रायः उनका उल्लेख करते हैं। ऋग्वेद की एक ऋचा में इनका पितृवाचक ‘राहुगण’ शब्द आया है। शतपथ ब्राह्मण में इन्हें  विदेह जनक एवं याज्ञवल्क्य का समकालीन के साथ सूक्त रचयिता कहा गया है। अथर्ववेद के दो परिच्छेदों में भी इनका उल्लेख है।  गौतम और अहिल्या की पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। मिथिला प्रान्त में दरभंगा के निकट अहिल्या-स्थान है। यहाँ आज भी लोग गौतमकुण्ड और अहिल्याकुण्ड में स्नान कर अपने को पवित्र मानते हैं। कहा जाता है कि रामचन्द्रजी इसी रास्ते से जनकपुर गये थे और इसी रास्ते पर उन्होंने अहिल्या का उद्धार किया था। महर्षि गौतम की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर ही भगवान महादेव ब्रह्मगिरि क्षेत्र में त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हुए तथा गंगा का दक्षिण भारत में अवतरण संभव हो सका। गंगा दक्षिण भारत में आज गौतमी गंगा या गोदावरी के नाम से जानी जाती है। महर्षि गौतम न्याय शास्त्र के प्रवर्तक रहे हैं। महर्षि गौतम के समय को लेकर विद्वानों में मतभेद पाया जाता है। महर्षि गौतम का उल्लेख कृत युग, त्रेता युग एवं द्वापर युग में मिलता है।  गौतम ऋषि अहंकार रहित व्यक्ति थे। जब देश के लोग सूखे से पीड़ित थे, तो महर्षि भगवान वरुण का ध्यान करने के लिए निकल पड़े। उनकी एकनिष्ठता से प्रसन्न होकर भगवान वरुण प्रकट हुए। ऋषि ने वरुण से बारिश के लिए कहा। भगवान वरुण ने समझाया "कानून की मांग है कि इस अवधि के लिए इस स्थान पर बारिश नहीं होनी चाहिए। मैं कानून के खिलाफ नहीं जा सकता क्योंकि सभी पांचों शक्तियां भगवान शिव द्वारा शासित हैं। मुझसे कुछ और मांगो।" महर्षि ने तुरंत जलाशय में पानी की निरंतर आपूर्ति के लिए अनुरोध किया। इस प्रकार गौतम ऋषि ने कई लोगों की जान बचाई। त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना भी ऋषि गौतम ने ही की थी। दरअसल, गौ हत्या के पाप से मुक्ति के लिए महर्षि गौतम ने भगवान शंकर की आराधना की। गौतम ऋषि की आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दिया। तब ऋषि गौतम ने उन्हें वहीं स्थापित होने का वर मांगा, और भगवान शिव वहां त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इस आर्टिकल में गौतम ऋषि के बारे में जो जानकारी दी गई है वो उनके व्यक्तित्व का एक छोटा सा हिस्सा है, गौतम बुद्ध के बारे में विस्तार से जानने के लिए आप भक्तवत्सल के ब्लॉग सेक्शन का रुख कर सकते हैं।

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आयी बरसाने वाली है आयी (Aayi Barsane Wali Hai Aayi)

आयी बरसाने वाली है आयी,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥

आईं महादेवी अवतार, भवानी मोरे अंगना में (Aayi Mahadevi Avtar, Bhawani More Angna Main)

आयी महादेवी अवतार,
भवानी मोरे अंगना में ॥

दिवाली से पहले हनुमान पूजा

हनुमान पूजा या जयंती को लेकर लोगों के मन में हमेशा संशय रहता है, क्योंकि साल में दो बार हनुमान जयंती मनाई जाती है।

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी (Ab Naa Banegi Too Phir Na Banegi)

अब ना बानी तो फिर ना बनेगी
नर तन बार बार नहीं मिलता

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