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वेद व्यास (Veda Vyas)

वेद व्यास (Veda Vyas)

महर्षि वेदव्यास, महर्षि पराशर और धीवर कन्या सत्यवती के पुत्र थे। रंग काला होने की वजह से महर्षि वेदव्यास को कृष्ण तो वहीं यमुना नदी के बीच द्वीप पर जन्म होने की वजह से उनको द्वैपायन नाम से भी जाना जाता है। इनका एक नाम कृष्णद्वैपायन और बादरायणि भी है। यही द्वैपायन अपने अथाह ज्ञान के साथ-साथ पुराण, महाभारत तथा वेदांत सूत्र की रचना करने की वजह से आगे चलकर महर्षि वेदव्यास के रूप में सम्मानित हुए। 


वेद व्यास ने चारों वेद ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन किया था। इसके अलावा कुछ जगहों पर ये भी वर्णन मिलता है कि 18 पुराणों की रचना में भी वेदव्यास की मुख्य भूमिका रही है।  महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत की रचना भी की है जिसे पंचम वेद का दर्जा भी दिया जाता है।

महाभारत की कथा के अनुसार माता सत्यवती के कहने पर वेदव्यास ने ही विचित्रवीर्य की मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी अंबिका, अंबालिका और दासी से नियोग कर तीन पुत्रों की उत्पत्ति की, जिन्हें धृतराष्ट्र, पांडु और विदुर के रूप में जाना जाता है। 

महर्षि व्यास को भी चिरंजीवी का वरदान प्राप्त है। कुछ संस्कृतियों में उन्हें भगवान विष्णु का आंशिक अवतार भी कहा जाता है। मानव इतिहास में सबसे बड़ी जीत और हार का रिकॉर्ड रखने के कर्तव्य से बोझिल व्यास अभी भी पृथ्वी पर विचरण करते हैं और कलियुग के समाप्त होने के बाद ही उन्हें मुक्ति मिलेगी। महर्षि वेद व्यास से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी है जो आप को भक्तवत्सल पर ही मिल जाएंगी।


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मुझे दास बनाकर रख लेना (Mujhe Das Banakar Rakh Lena)

मुझे दास बनाकर रख लेना,
भगवान तू अपने चरणों में,

मुझे झुँझनु में अगला जनम देना (Mujhe Jhunjhunu Me Agla Janam Dena)

मेरी भक्ति के बदले वचन देना,
मुझे झुँझनु में अगला जनम देना ॥

मुझे कैसी फिकर सांवरे साथ तेरा है गर सांवरे (Mujhe Kaisi Fikar Saware Sath Tera Hai Gar Saware)

मुझे कैसी फिकर सांवरे,
साथ तेरा है गर सांवरे,

मुझे खाटू बुलाया है (Mujhe Khatu Bulaya Hai)

मुझे खाटू बुलाया है,
मुझको बधाई दो सभी,

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