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कृपाचार्य (Kripacharya)

कृपाचार्य (Kripacharya)

कुरुवंश के कुलगुरु के रूप विख्यात कृपाचार्य महर्षि यानी संत होने के साथ-साथ अद्वितीय योद्धा भी थे। इन्होंने कौरवों-पांडवों को अस्त्र विद्या सिखाई थी, साथ ही वे परमतपस्वी भी थे। कृपाचार्य को राजा शांतनु ने अपनी बहन कृपी के साथ गोद लिया था। इनकी बहन कृपी का विवाह गुरु द्रोणाचार्य से हुआ। कृपाचार्य जी एक महान ऋषि थे। ये अश्वत्थामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। महाभारत में उन्होंने कौरवों की ओर से कुरुक्षेत्र का युद्ध लड़ा, तो वे उन कुछ योद्धाओं में से एक थे जो युद्ध समाप्त होने के बाद भी जीवित रहे। महाभारत में उन्हें उनकी निष्पक्षता के लिए जाना जाता था, इसी के कारण उन्हें भगवान परशुराम से उन्हें अमरत्त्व का वरदान मिला था। कृपाचार्य परिस्थिति के अनुसार अपने को ढालने के लिए जाने जाते हैं, इसलिए ये कौरवों की ओर से लड़ने और पराजित होने के बावजूद पांडवों के कुलगुरु के पद पर आसीन हुए। श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि मनु के समय कृपाचार्य की गिनती सप्तऋर्षियों में होती थी।

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आंवला नवमी व्रत कथा (Amla Navami Vrat Katha)

आंवला नवमी व्रत आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रखा जाता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था और साथ ही आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी।

मार्गशीर्ष माह के प्रमुख व्रत और पूजा विधि (Margashirsha Maas Ke Pramukh Vrat Aur Puja Vidhi)

मार्गशीर्ष मास हिंदू पंचांग का नौवां माह है, जो कि आश्विन मास के बाद आता है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की गणना 16 नवंबर से 15 दिसंबर 2024 तक है।

आंवला नवमी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी और सीता नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

बड़े बलशाली है, बाबा बजरंग बली(Bade Balshali Hai Baba Bajrangbali)

जड़ से पहाड़ों को,
डाले उखाड़,

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