वट सावित्री पूर्णिमा पूजन विधि (Vat Savitri Purnima Pooja Vidhi)

ज्येष्ठमास की पूर्णिमा को किया जाने वाला व्रत 

वट सावित्री पूर्णिमा विषेष रूप से सुहागिन औरतो के लिए वेहद खास माना जाने वाला त्यौहार है यह व्रत साल में एक वार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को किया जाता है इसे वट पूर्णिमा भी कहते है सभी शादी सुदा महिलाए यह व्रत अपनी पति की लंबी आयु एवं खुषहाल जीवन के लिए करती है इस व्रत को महिलाए निर्जला रखती है यानी अन्न जल कुछ भी ग्रहण नहीं करती है इस दिन सुबह स्नान करके सुहागिन महिलाये वट यानी बरगद के पेड की पूजा करती है वट वृक्ष में भगवान ब्रह्रामा विष्णु महेष तीनो का वास माना जाता है इस दिन महिलाये वट वृक्ष की परिक्रमा करती है और पेड के चारो तरफ एक रक्षा सूत्र बांधती है ऐसा करने से पति पर अकाल मृत्यु का संकट नहीं आता है इस दिन की पूजा में हमको कई तरह पकवान एवं कच्चे आटे के वट बानाने चाहिऐ और मौसम्मी जैसे फलो का भी प्रयोग करना चाहिए। 


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श्री शिवमहिम्न स्तोत्रम्

महिम्नः पारन्ते परमविदुषो यद्यसदृशी।
स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः॥

अवध में छाई खुशी की बेला (Avadh Me Chhai Khushi Ki Bela)

अवध में छाई खुशी की बेला,
​अवध में छाई खुशी की बेला,

दादी मैं थारी बेटी हूँ (Dadi Mein Thari Beti Hu)

दादी मैं थारी बेटी हूँ,
रखियो मेरी लाज,

क्यों मनाई जाती है गोपाष्टमी, जानिए पूजा विधि

गोपाष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण के गौ-पालन और लीलाओं की याद दिलाता हैं। गोपाष्टमी दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें गोप का अर्थ है "गायों का पालन करने वाला" या "गोपाल" और अष्टमी का अर्थ हैं अष्टमी तिथि या आठवां दिन।

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