हिंदू धर्म में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इसे "सोमवार" या "सप्तमी" के नाम से जाना जाता है, और यह विशेष रूप से भगवान शिव और चंद्रमा यानी कि सोम से जुड़ा हुआ है। सोमवार को शिवार्चन और चंद्रमा की पूजा की जाती है। सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन उनके सम्मान में होता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सोमवार को व्रत और उपवासी रहते हुए शिव की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और शांति आती है। शिव के भक्त विशेष रूप से सोमवार को जलाभिषेक, बेलपत्र चढ़ाना, और शिवलिंग पर दूध अर्पित करते हैं। सोमवार का दिन चंद्रमा को समर्पित है। चंद्रमा को सोम भी कहा जाता है, और उन्हें शांति, सौम्यता, और मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है। सोमवार के दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति, तनाव से मुक्ति, और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अब ऐसे में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है, साथ ही पूजा सामग्री और नियम के बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। इसे सही विधि से करने से आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
यदि आप शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं तो उसे स्वच्छ करके उस पर जल, दूध, शहद, दही, गंगाजल और अक्षत अर्पित करें।
सोमवार को भगवान शिव की पूजा बड़ी श्रद्धा और निष्ठा से करनी चाहिए। अगर आप व्रत रख रहे हैं तो पूरे दिन उपवासी रहना उत्तम रहेगा, लेकिन यदि यह संभव न हो तो केवल शाकाहारी भोजन करें।
भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, घी और बिल्व पत्र चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।
सोमवार को व्रत रखने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। इस दिन उपवासी रहकर भगवान शिव की पूजा करने से समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले फूल सफेद रंग के होने चाहिए। साथ ही पूजा में दीपक अवश्य जलाएं। दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।
चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। यह हिंदू पंचांग का पहला महीना है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व है। इस मास में की गई पूजा, व्रत और दान-पुण्य का प्रभाव संपूर्ण वर्ष पर पड़ता है। इसके अलावा मान्यता है कि इस माह में कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।