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सरस्वती नदी का उल्लेख विशेष रूप से ऋग्वेद, महाभारत, और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में किया गया है। वेदों में इसे एक दिव्य नदी के रूप में पूजा गया है और यह ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती से जुड़ी हुई मानी जाती है। वेदों में सरस्वती नदी को "अमरता" और "पवित्रता" का प्रतीक माना गया है। इसके जल में स्नान करने से पापों का नाश होता है और यह शुद्धि का प्रतीक मानी जाती है। आजकल भौगोलिक रूप से सरस्वती नदी का अस्तित्व नहीं है। हालांकि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह नदी अभी भी धरती के अंदर बहती है और प्रयाग में गंगा और यमुना के साथ मिलती है। अब ऐसे में अगर मां सरस्वती का आह्नान करना चाहते हैं, तो उनकी पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में विस्तार से इस लेख में जानते हैं।
मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति में ज्ञान की प्राप्ति होती है और बुद्धि का विकास होता है। जो लोग पढ़ाई करते हैं, उनके लिए मां सरस्वती की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। इससे पढ़ाई में मन लगता है और सफलता मिलती है। मां सरस्वती कला और संगीत की देवी भी हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति पर उनकी कृपा बनी रहती है। मां सरस्वती वाणी की देवी भी हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति को मीठी वाणी और वाणी की शक्ति मिलती है। मां सरस्वती की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलती है।
अगर आप मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं, तो उनके मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। इससे व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता:
ॐ सरस्वत्यै नमः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः
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