नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि

Navratri Puja Vidhi: नवरात्रि के नौ दिनों में इस आसान विधि से करें पूजा, माता की कृपा से भरा रहेगा धन


नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं—चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्र को मुख्य माना गया है, जबकि आषाढ़ और माघ को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। नवरात्रि के प्रत्येक दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है। शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा की उपासना के लिए यह श्रेष्ठ समय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने नवरात्रि के दौरान माँ भगवती की आराधना कर विजयादशमी के दिन रावण का वध किया था। भक्त भी नौ दिनों तक माँ की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। आइए जानते हैं देवी दुर्गा के पूजन की विधि।


पहले दिन घटस्थापना विधि:


  • नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना का विधान होता है। सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल को साफ करें। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर थोड़े से धान रखें। फिर कलश स्थापित करें।
  • कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें गंगाजल, चंदन, रोली, हल्दी की गांठ, फूल, दूर्वा, अक्षत, सुपारी और एक सिक्का डालें।
  • कलश पर आम या अशोक के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल रखें।


पूजन सामग्री की व्यवस्था:


  • पूजा सामग्री को ऐसे रखें कि पूजा के दौरान आपको उठना न पड़े।
  • जलपात्र, धूप, दीप और घंटी बाईं ओर रखें।
  • घी का दीपक और शंख दाईं ओर रखें।
  • केसर, चंदन, फूल, नैवेद्य आदि सामने रखें।
  • पूजन प्रारंभ करने से पहले मूर्ति के आसन को शुद्ध करने के लिए निम्न मंत्र का उच्चारण करें:
  • ओम पृथ्वि त्वया धृता लोका, देवि त्वं विष्णुना धृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरू चासनम्।।


आचमन मंत्र:


पूजा प्रारंभ करने से पहले आचमन करें और निम्न मंत्रों का उच्चारण करें:


ओम एं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।। ओम हीं विद्यातत्तवं शोधयामि नमः स्वाहा।। ओम क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।।


दीप प्रज्ज्वलन मंत्र:


सनातन धर्म में प्रत्येक शुभ कार्य में दीप जलाना आवश्यक माना जाता है। दीप प्रज्ज्वलन से पूर्व यह मंत्र बोलें:


ओम भो दीप देवरूपस्त्वं कर्मसाक्षी ह्राविघ्नकृत। यावत्कर्म समाप्तिः स्यात् तावत्त्वं सुस्थिरो भव।।


नवरात्रि में विभिन्न प्रसाद से माता की कृपा प्राप्त करें


  • पहले दिन माँ शैलपुत्री को गाय के शुद्ध देसी घी का भोग लगाएं, इससे आरोग्य की प्राप्ति होती है।
  • दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग अर्पित करें, जिससे दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
  • तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा को दूध और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं, जिससे जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं।
  • चौथे दिन माँ कूष्मांडा को मालपुए का भोग चढ़ाएं, इससे बुद्धि और निर्णय क्षमता में वृद्धि होती है।
  • पांचवें दिन माँ स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करें, जिससे जीवनभर स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
  • छठे दिन माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं, जिससे आकर्षण और सुंदरता में वृद्धि होती है।
  • सातवें दिन माँ कालरात्रि को गुड़ का भोग अर्पित करें, जिससे आकस्मिक संकटों से सुरक्षा मिलती है।
  • आठवें दिन माँ महागौरी को नारियल का भोग लगाएं, जिससे संतान से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है।
  • नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री को तिल का भोग अर्पित करें, जिससे आकस्मिक मृत्यु का भय समाप्त होता है।

........................................................................................................
राम पे जब जब विपदा आई(Ram Pe Jab Jab Vipada Aai)

राम पे जब जब विपदा आई,
कौन बना रखवाला,

सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला: भजन (Siya Ji Se Puch Rahe Anjani Ke Lala)

सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला,
मांग में सिंदूर मैया किस लिए डाला,

ए पहुना एही मिथिले में रहुना (Ae Pahuna Mithile Me Rahuna)

ए पहुना एही मिथिले में रहु ना,
जउने सुख बा ससुरारी में,

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की रमा नाम एकादशी (Kaartik Maas Kee Krshn Paksh Kee Rama Naam Ekaadashee)

इतनी कथा सुनकर महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् से कहा-प्रभो ! अब आप कृपा करके कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के माहात्म्य का वर्णन करिये। पाण्डुनन्दन की ऐसी वाणी सुन भगवान् कृष्ण ने कहा-हे राजन् !

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने