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हिंदू धर्म में नर्मदा नदी बेहद पवित्र और पूजनीय नदी मानी जाती है। इसे 'कुंवारी नदी' और 'रेवा' के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा नदी की उत्पत्ति अमरकंटक से हुई है और यह मध्य प्रदेश को पार करते हुए गुजरात में अरब सागर में मिल जाती है। बता दें, नर्मदा नदी को भगवान शिव की पुत्री माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि नर्मदा के तट पर शिव-पार्वती सहित सभी देवता निवास करते हैं। इता नहीं नदीं कई ऋषि-मुनियों ने नर्मदा के तट पर तपस्या की है। नर्मदा में स्नान करने से पापों का नाश होता है। नर्मदा की परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। नर्मदा नदी का जल पीने मात्र से ही भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। अब ऐसे में नर्मदा नदी की पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
नर्मदा माता की पूजा करने के दौरान इन मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
सबिंदु सिन्धु सुस्खल तरंग भंग रंजितम
द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम
कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥1॥
त्वदम्बु लीन दीन मीन दिव्य सम्प्रदायकम
कलौ मलौघ भारहारि सर्वतीर्थ नायकं
सुमस्त्य कच्छ नक्र चक्र चक्रवाक् शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥2॥
महागभीर नीर पुर पापधुत भूतलं
ध्वनत समस्त पातकारि दरितापदाचलम
जगल्ल्ये महाभये मृकुंडूसूनु हर्म्यदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥3॥
गतं तदैव में भयं त्वदम्बु वीक्षितम यदा
मृकुंडूसूनु शौनका सुरारी सेवी सर्वदा
पुनर्भवाब्धि जन्मजं भवाब्धि दुःख वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥4॥
अलक्षलक्ष किन्न रामरासुरादी पूजितं
सुलक्ष नीर तीर धीर पक्षीलक्ष कुजितम
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥5॥
सनत्कुमार नाचिकेत कश्यपात्रि षटपदै
धृतम स्वकीय मानषेशु नारदादि षटपदै:
रविन्दु रन्ति देवदेव राजकर्म शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥6॥
अलक्षलक्ष लक्षपाप लक्ष सार सायुधं
ततस्तु जीवजंतु तंतु भुक्तिमुक्ति दायकं
विरन्ची विष्णु शंकरं स्वकीयधाम वर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥7॥
अहोमृतम श्रुवन श्रुतम महेषकेश जातटे
किरात सूत वाड़वेषु पण्डिते शठे नटे
दुरंत पाप ताप हारि सर्वजंतु शर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे ॥8॥
इदन्तु नर्मदाष्टकम त्रिकलामेव ये सदा
पठन्ति ते निरंतरम न यान्ति दुर्गतिम कदा
सुलभ्य देव दुर्लभं महेशधाम गौरवम
पुनर्भवा नरा न वै त्रिलोकयंती रौरवम ॥9॥
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
नमामि देवी नर्मदे, नमामि देवी नर्मदे
त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे
नर्मदा नदी को मां नर्मदा के रूप में पूजा जाता है और इसका जल अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि नर्मदा के जल में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। नर्मदा नदी में स्नान करने और पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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